रेलवे बढ़ाने वाला है ट्रेन के एसी डिब्बों का किराया? संसदीय समिति की सिफारिश…
नई दिल्ली। ट्रेन देश की लाइफ लाइन या जीवन रेखा है। किसी दिन देश के किसी जिले में मेंटनेंस के लिए भी कुछ घंटे तक ट्रेन सेवा रोक दी जाती है तो कोहराम मच जाता है। ट्रेन के साथ एक और अच्छी बात यह है कि इसमें वायुमार्ग ही नहीं, बल्कि सड़क मार्ग के मुकाबले किराया काफी कम है। लेकिन किराये में यह कमी ज्यादा दिनों तक जारी नहीं रह सकती। रेलवे पर संसद की स्थायी समिति ने सिफारिश ही कुछ ऐसी की है।
क्या की है सिफारिश
रेलवे पर संसद की स्थायी समिति ने पैसेंजर सेगमेंट में बढ़ रहे घाटे को कम करने के उपाय सुझाए हैं। समित ने ऐसे करने के लिए एयरकंडीशंड क्लास (एसी) के किराए की समीक्षा की सिफारिश की है। इसे दूसरे तरीके से कहें तो संसदीय समिति ने एसी क्लास के किराये में बढ़ोतरी करने को कहा है। हालांकि, समिति ने कहा है कि रेलवे को यह भी देखना होगा कि जनरल क्लास में यात्रा सस्ती बनी रहे।
रेवेन्यू में काफी असमानता
भाजपा सांसद सी एम रमेश की अध्यक्षता वाली समिति ने साल 2024-25 के बजट अनुमानों पर ध्यान दिया है। इसमें माल ढुलाई से 1.8 लाख करोड़ रुपये की आमदनी का अनुमान है। इसकी तुलना में पैसेंजर रेवेन्यू सिर्फ 80,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसलिए समिति ने एसी क्लास में किराये में बढ़ोतरी का सुझाव दिया है ताकि माल ढुलाई सेगमेंट और पैसेंजर सेगमेंट के बीच राजस्व में ज्याादा असमानता नहीं हो। रेवेन्यू में यह असमानता भारतीय रेलवे के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
46 फीसदी की छूट
रेल मंत्रालय ने समिति को बताया है कि इस समय भी हर टिकट पर 46% छूट दी जाती है। एक तरह से देखें तो रेलवे पैसेंजर सेगमेंट में हर साल करीब 56,993 करोड़ रुपये की रियायतें देता है। इसे देखेते हुए समिति ने रेलवे को यात्री राजस्व बढ़ाने के लिए विभिन्न ट्रेन वर्गों में किराए के विस्तृत मूल्यांकन की आवश्यकता पर बल दिया। पैनल ने स्वीकार किया कि सामान्य श्रेणी की यात्रा आम लोगों के लिए सुलभ रहनी चाहिए वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायतों को फिर से लागू करना असंभव बनाती हैं।
खानपान सेवा की खामियां
इस समिति ने रेलवे की खानपान सेवाओं जैसी श्रेणियों में खामियों या अक्षमताओं को भी उजागर किया है। समिति ने कहा है कि इस क्षेत्र में वित्तीय प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए अक्षमता को समाप्त किया जाए। इसने खानपान से संबंधित सामाजिक सेवा दायित्वों के वित्तीय बोझ को कम करते हुए प्रतिस्पर्धी कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है।
रेलवे का होगा प्राइवेटाइजेशन?
भारतीय रेलवे का निजीकरण किया जाएगा? रेलवे के निजीकरण को लेकर लोकसभा में गरमागरम बहस के बाद, संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि भारतीय रेलवे अपने बुनियादी ढांचे में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर विचार करे। यह बहस रेलवे संशोधन विधेयक, 2024 से शुरू हुई, जिसका सांसदों ने कड़ा विरोध किया, जिन्होंने इसे निजीकरण की ओर एक गुप्त कदम बताते हुए इसकी आलोचना की। हालांकि, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सदन में अपने जवाब के दौरान इन दावों का खंडन किया, विधेयक का बचाव किया और निजीकरण के आरोपों का खंडन किया।
समिति ने क्या कहा
‘समिति का मानना है कि भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए भारी पूंजी निवेश की आवश्यकता है। रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति का मानना है कि रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार की पर्याप्त गुंजाइश है और इसके नियोजित व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता है।