गंभीर साजिश,आतंकी घटना;गोरखनाथ मंदिर हमले पर UP पुलिस और सरकार ने कहीं बड़ी बातें
लखनऊ। गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में रविवार शाम हुए हमले को लेकर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा है कि अब तक जो भी दस्तावेज मिले हैं, वे बेहद सनसनीखेज हैं। हमले का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि अब तक की जांच के आधार पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह आतंकी हमला नहीं है। वहीं एसीएस गृह अवनीश अवस्थी ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमला नाकाम करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए 5 लाख रुपए नकद इनाम देने की घोषणा की है।
एसीएस गृह अवनीश अवस्थी ने कहा, ”गोरखनाथ मंदिर में पुलिस के जवानों पर जो हमला हुआ है वह साजिश का हिस्सा है। इसको आतंकी घटना कहा जा सकता है।” उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना की जांच यूपी एटीएस को दी गई है। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि यूपी एटीएस और यूपी एसटीएफ एक साथ काम करेंगे। जिन तीन जवानों ने घटना को विफल किया, गोपाल गौड़, अनिल पासवान और अनुराग राजपूत को 5 लाख रुपए नकद इनाम देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि इसके लैपटॉप-मोबाइल में जो भी जानकारी मिली है उसकी गंभीरता से जांच की जाए। जरूरत पड़ने पर प्रदेश के बाहर से भी साक्ष्य जुटाए जाएंगे।
गंभीर साजिश की थी तैयारी
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा कि शाम 7 बजे गेट नंबर एक पर एक व्यक्ति ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया और धार्मिक नारे लगाए। दो जवानों गोपाल गौड़ और अनिल पासवान को गंभीर चोटे आईं हैं। वहां के सजग पुलिसकर्मियों ने उस व्यक्ति को काबू किया और गिरफ्तार किाया है। उसके पास से जो चीजें मिली हैं, उनसे लगता है कि यह गंभीर साजिश की तैयारी थी। हम लोग इससे इनकार नहीं कर सकते कि यह आतंकी घटना नहीं थी। एटीएस की टीम वहां गई है। जो दस्तावेज हम लोगों को मिले हैं वे काफी सनसनीखेज हैं।
महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा की समीक्षा
उन्होंने कहा कि मुकदमा गोरखनाथ थाने में दर्ज किया जा चुका है। अभी शासन के द्वारा सभी महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा योजना की समीक्षा की गई है। इसके तहत वहां अधिक पद स्वीकृत किए गए हैं। इसी समीक्षा के तहत गोरखनाथ मंदिर, अयोध्या, वाराणसी, मथुरा और अन्य महत्वपूर्ण इमारतों की सुरक्षा की गई थी। यदि यह व्यक्ति अंदर पहुंच जाता तो श्रद्धालुओं को क्षति हो सकती थी। स्थिति बेकाबू हो सकती थी। अधिकारियों ने बेहद संयम से आरोपी को गिरफ्तार किया है।
1857 और 1947 से भी मुश्किल दौर से गुजर रहे मुसलमान,हिजाब विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड-2
1857 और 1947 से भी मुश्किल दौर से गुजर रहे मुसलमान, हिजाब विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक पदाधिकारी ने कहा है कि भारतीय मुसलमान अपनी धार्मिक परंपराओं को लेकर 1857 और 1947 से भी अधिक मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने मुसलमानों खासकर महिलाओं से अपील की है कि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ फैलाए जा रहे ‘प्रोपेगेंडा’ के झांसे में ना आएं।
उन्होंने कहा कि चरमपंथी ताकतें मुस्लिम युवाओं को सड़कों पर उतारने के लिए गुमराह कर रही हैं और भड़का रही हैं। कर्नाटक में हिजाब मुद्दे का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य में मुसलमानों के लिए बड़ी परीक्षा है। रहमानी ने कहा, ”ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले पर नजर रख रही है और कानूनी रास्ता अपना रही है।” उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है और बोर्ड शरियत प्रभाव डालने वाले किसी मुद्दे को नजरअंदाज नहीं कर रही है।
रहमानी ने कहा कि कुछ लोग बोर्ड के प्रति गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा,”मैं मुसलमानों खासकर मुस्लिम बहनों से अपील करता हूं कि इस तरह के प्रोपेगेंडा से प्रभावित ना हों और नाराजगी पैदा करने की कोशिशों को न होने दें।” एक वीडियो संदेश में रहमानी ने कहा, ”धार्मिक परंपराओं पर संकट के हिसाब से भारतीय मुसलमान 1857 और 1947 से भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं। शरियत-ए-इस्लामी पर कई तरफ से हमले हो रहे हैं और मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि 1857 में ब्रिटेश शासन से आजादी के लिए पहला संग्राम हुआ था, जबकि 1947 में देश को आजादी मिली थी। कर्नाटक में हाल ही में लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूल में आने से रोक दिया गया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी राहत देने से इनकार किया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।