शहबाज शरीफ को PM की कुर्सी के साथ मिला कंगाल पाकिस्‍तान,₹103।38 लाख करोड़ का कर्ज…

शहबाज शरीफ को PM की कुर्सी के साथ मिला कंगाल पाकिस्‍तान,₹103।38 लाख करोड़ का कर्ज…
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नई दिल्ली। भारी उटापटक और लंबे इंतजार के बाद आखिरकार पाकिस्तान में सरकार बन ही गई। सोमवार को शहबाज शरीफ ने आधिकारिक तौर पर दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। पाकिस्तान की कुर्सी शहबाज शरीफ के लिए फूलों का ताज नहीं है। कु्र्सी के साथ उन्हें भारी भरकम कर्ज का बोझ,गरीबी की मार झेल रही जनता, खस्ताहाल इकोनॉमी का तोहफा मिला है। शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री बनने ही पाकिस्तान की आवाम को कई सपने दिखाए। जर्जर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने,साल 2030 तक जी-20 की सदस्यता दिलाने का टारगेट रखा। शहबाद ने वादे तो बड़े-बड़े कर लिए,लेकिन इन्हें पूरा करना आसान नहीं है।

दिवालिया होने के कगार पर पाकिस्तान
पाकिस्तान की इकोनॉमी खस्ताहाल हो चुकी है। उसपर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। साल 2011 में पाकिस्तान पर 66।4 बिलियन डॉलर का कर्ज था जो साल 2023 में 124।6 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
पाकिस्तान के थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पर करीब 1,03,38,14,29,90,000 का विदेशी कर्ज है। कर्ज के बढ़ते बोझ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है। चीन के जाल में फंसे पाकिस्तान पर दिवालिया होने की स्थिति बनती जा रही है। जो हालात दिख रहे हैं, उसमें तो मुश्किल ही लग रहा है कि पाकिस्तान इस कर्ज को आसानी से चुका सकता है।

कर्ज के जंजाल में फंसा पाकिस्तान
अगर कर्ज नहीं चुकाया तो उसकी मुश्किल और बढ़ जाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी के साथ-साथ वो कर्ज के जाल में फंसता चला जाएगा। चीन जैसे देश कर्ज नहीं चुकाने पर पाकिस्तान की संपत्ति में अपना अधिकार ले सकते हैं। कर्ज का ये संकट पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उसकी राजनीतिक और संवैधानिक संकट को भी जन्म दे सकती है। पाकिस्तान का कर्ज उसकी जीडीपी की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। बीते 13 सालों में पाकिस्तान का कर्ज दोगुने से अधिक हो चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में पाकिस्तान को अनुमानित 49।5 अरब डॉलर का कर्ज मैन्चोर होना है,जिसे उसे चुकाना होगा। इस कर्ज में 30 प्रतिशत तो सिर्फ ब्याज है। पाकिस्तान के कर्ज लेने की आदत अब उनकी अर्थव्यवस्था के लिए जानलेवा होने लगी है।

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पाकिस्तान की जानलेवा महंगाई
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की सबसे ज्यादा मार आम जनता पर पड़ रहा है। पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है। पाकिस्तान में महंगाई के आंकड़े 25 से 30 फीसदी तक पहुंच चुका है। महंगाई ही नहीं बढ़ती बेरोजगार लोगों का जीना मुहाल कर रही है। पाकिस्तान का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काफी स्लो है। आतंकवाद को बढ़ावा देते-देते पाकिस्तान ने अपने निवेश पर कैंची चला दी। निवेश नीचले स्तर पर पहुंच गया है। लोगों के पार न तो खाना है, न रहने के लिए घर। पाकिस्तान की जिंदगी आईएमएफ के बेलआउट पैकेज पर चल रही है।


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