समुद्र के तल में है Coke के 32 अरब कैन जितनी चीनी,हैरान करने वाला दावा
नई दिल्ली। दुनियाभर में वैज्ञानिक कुछ न कुछ नया खोजने में लगे रहते हैं। इस क्रम में वैज्ञानिकों को कामयाबी भी मिलती रहती है और दुनिया रहस्यमयी खोजों से परिचित होती है। ऐसी ही खोज मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट फॉर मरीन माइक्रोबायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने की है। इन वैज्ञानिकों को दुनिया के महासागरों में समुद्री घास के मैदानों के नीचे चीनी के पहाड़ मिले हैं। ये समुद्री घास मीडोज कार्बन को कैप्चर करने में बेहद कुशल हैं और दुनिया के शीर्ष कार्बन कैप्चरिंग इकोसिस्टम में से एक हैं।
पहले की तुलना में 80 गुना अधिक
संस्थान के अनुसार,एक वर्ग किलोमीटर समुद्री घास भूमि पर मौजूद वनों की तुलना में लगभग दोगुना कार्बन संग्रीहत करता है। यह 35 गुना तेज होता है। जब वैज्ञानिकों ने इन घास के मैदानों के आसपास के समुद्र तल का निरीक्षण किया तो उनकी मिट्टी प्रणालियों में भारी मात्रा में चीनी पाई गई। इस इंस्टिट्यूट में स्टडी ग्रुप के चीफ मैनुअल लिबेके का कहना है कि चीनी की भारी मात्रा समुद्री वातावरण में पहले मापी गई चीनी की तुलना में लगभग 80 गुना अधिक है।
1.3 मिलियन टन तो हो सकती है चीनी की मात्रा
मैनुअल लिबेके ने बताया कि, “नई शोध को परिप्रेक्ष्य में रखने के बाद हमने अनुमान लगाया है कि दुनिया भर में 0.6 और 1.3 मिलियन टन चीनी मुख्य रूप से सुक्रोज के रूप में समुद्री घास के राइजोस्फीयर में मौजूद हैं। यह मात्रा कोक के 32 अरब कैन में मौजूद चीनी की मात्रा के बराबर है!”
तेजी से घट रहे हैं ऐसे समुद्री घास
इस रिसर्च को करने वाली टीम का कहना है कि, यह नई खोज है। समुद्री घास के मैदान पृथ्वी पर सबसे अधिक खतरे वाले प्राकृतिक आवासों में से एक हैं। संस्थान के अनुसार, ये घास सभी महासागरों में तेजी से घट रहे हैं और दुनिया के एक तिहाई समुद्री घास समय से बहुत पहले ही खो सकते हैं।
घास घटने से बढ़ सकता है कार्बन डाइऑक्साइड
मिस्टर लिबके ने बताया कि, “हमने यह देखने की भी कोशिश की है कि जब समुद्री घास को नष्ट किया जाता है तो दुनिया के महासागर और तटीय पारिस्थितिक तंत्र द्वारा कब्जा कर लिया गया कार्बन कितना नीला कार्बन खोता है। इस रिसर्च में सामने आया है कि यह केवल समुद्री शैवाल ही नहीं है, बल्कि जीवित समुद्री घास के नीचे बड़ी मात्रा में सुक्रोज भी होता है। इसके परिणामस्वरूप संग्रहीत कार्बन का नुकसान होता है। हमारी गणना से पता चलता है कि यदि समुद्री घास के राइजोस्फीयर में सुक्रोज को रोगाणुओं द्वारा अवक्रमित किया गया, तो दुनिया भर में कम से कम 1.54 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में जाएगा, यह लगभग एक वर्ष में 3,30000 कारों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बराबर है।”