Tuesday, May 30, 2023
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सिंगापुर रिटर्न ठग गैंग ने शख्स को पहले करोड़ों के मुनाफे का दिया लालच, फिर ठगे करीब डेढ़ करोड़

कानपुर। कानपुर में बायो फार्मास्युटिकल का कच्चा माल सप्लाई करने वाले राजेश गुप्ता से साइबर ठगों ने 1.81 करोड़ की ठगी की है,जिसका खुलासा करते हुए पुलिस ने तीन अपराधियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस की मानें तो आरोपियों ने बायो फार्मास्यूटिकल कंपनी को विदेशी कंपनी बनकर ईमेल किया। उसके बाद करोड़ों के मुनाफे का लालच देकर करोड़ों की ठगी करके निकल गए।

कंपनी के मालिक को जब अपने साथ हुई ठगी के बारे में पता चला तो उन्होंने थाना चकेरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया और क्राइम ब्रांच से शिकायत की। क्राइम ब्रांच की टीम ने मामले की पड़ताल की और ठगी में शामिल तीनों को दबोच लिया।

क्या है पूरा मामला?
एसीपी क्राइम ब्रांच कानपुर बृज नारायण सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला कानपुर नगर के थाना चकैरी से संबंधित है। इसमें पीड़ित राजेश गुप्ता है, जिनके द्वारा ये मुकदमा लिखवाया गया। इनके पास यूके से एक ईमेल आया हुआ था और ईमेल में ये बताया गया कि जो बायो फार्मास्युटिकल सामान होते हैं वो इस कंपनी के द्वारा बनाए जाते हैं। इस आधार पर कंपनी ने मेल के द्वारा संपर्क किय और सामान देने के लिए कुछ एग्रीमेंट किया। एडवांस के तौर पर राजेश से तकरीबन 1 करोड़ 11 लाख रुपये ले लिए गए और सामान की डिलीवरी नहीं की गई। इसके बाद पीड़ित से सामने वाले व्यक्ति ने 25 लाख रुपए की और मांग की और कहा कि फाइनेंस डिपार्टमेंट में कुछ पैसे मांगे जा रहे हैं।

पुलिस ने 3 आरोपी को किया गिरफ्तार
इसके बाद पीड़ित ने थाना चकेरी में मुकदमा दर्ज कराया औऱ साथ ही साथ क्राइम ब्रांच में भी एक शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत के आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम और स्थानीय पुलिस की सहयोग से इस पर कार्रवाई की गई। कार्रवाई के क्रम में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी की गई, जिसमें अजहर जो मुंबई का रहने वाला है,जन कुमार पटेल अहमदाबाद और रमेश कुमार मध्यप्रदेश का रहने वाला है।

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गिरफ्तारी के साथ ही इनके पास से चेक बुक,पास बुक,मोबाइल सिम कार्ड, एटीएम कार्ड और मोहर,लैपटॉप और भारी मात्रा में सामान भी बरामद हुआ है,पूछताछ में इन्होंने बताया कि ये अपनी वास्तविक पहचान छिपाने के लिए आम पब्लिक से संपर्क करते थे,उनसे अकाउंट नंबर लेते थे और अकाउंट नंबर झांसा देकर लेते थे कि उसमें गेम के पैसे आएंगे और जो भी पैसे आएंगे उसका कुछ पर्सेंट आम पब्लिक को या जिसका अकाउंट होता है उस अकाउंट होल्डर को दे दिए जाते हैं। इसी आधार पर ये लोग प्रतिदिन कई लोगों से संपर्क करते थे और लोगों को ठगते हैं।

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