5 हजार के बदले करोड़ो के सोने की तस्करी:मजदूर बाल्टी में छिपाकर और औरतें चूड़ियों में ला रहीं सोना
नई दिल्ली। स्टील की एक बाल्टी। बाल्टी में हरे बैंगन और एक हंसिया। बैंगन के नीचे छिपाई गई प्लास्टिक की बॉटल। ऊपर से उसका ढक्कन बंद और नीचे का हिस्सा कटा हुआ। बॉटल के अंदर एक पुरानी सी थैली में सोने के बिस्किट रखे थे। एक-दो नहीं, बल्कि 21।
BSF ने इनका वजन करवाया तो 2.45 किलो निकला। कीमत 1 करोड़ 26 लाख रुपए। पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले में BSF की मामा भगीना फ्लोटिंग बॉर्डर आउटपोस्ट के जवानों ने इसी महीने 9 सितंबर को ये सोना पकड़ा है। BSF ने सोना कस्टम के हवाले कर तस्कर पुलिस को सौंप दिया।
सोने की यह तस्करी पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर चल रही है। यहां जूतों, थैलियों, चूड़ियों और टिफिन में रखकर करोड़ों का सोना भारत लाया जा रहा है। भारत और बांग्लादेश 4096 किमी का बॉर्डर साझा करते हैं। यह दुनिया का 5वां सबसे बड़ा जमीनी बॉर्डर है।
4096 किमी में आधे से ज्यादा, यानी 2217 किमी का हिस्सा सिर्फ पश्चिम बंगाल साझा करता है। इसका 50% से ज्यादा हिस्सा खुला हुआ है, यानी यहां फेंसिंग नहीं है। इसी का फायदा उठाकर तस्कर बांग्लादेश से गाय, ड्रग्स और सोना भारत ला रहे हैं। सोने की स्मगलिंग की वजह बांग्लादेश से आए सोने का सस्ता होना है। भारत के मुकाबले इसके 10 ग्राम की कीमत 10 से 15 हजार रुपए कम है।
बॉर्डर पर 5 दिन तक इन्वेस्टिगेशन
पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर भास्कर ने 5 दिन तक गाय, ड्रग्स और गोल्ड तस्करी का इन्वेस्टिगेशन किया। हम मुर्शिदाबाद जिले के जालंगी पहुंचे, जहां से सबसे ज्यादा स्मगलिंग होती है।
मौके के हालात जानने के बाद हमने कस्टम, इंटेलिजेंस, BSF अधिकारियों के साथ ही मुखबिरों से भी बात की। हमने पहली दो किस्तों में आपको गाय और ड्रग्स तस्करी के बारे में बताया। सीरीज की आखिरी किस्त में पढ़िए और देखिए बॉर्डर पर गोल्ड तस्करी कैसे और क्यों हो रही है।
पहला सीन: रिपोर्टर और कैरिअर की मुलाकात
4 दिन मनाने पर बात करने को राजी हुआ,बोला-मेरी पहचान सामने मत लाना…
अब हम आगे की कहानी एक कैरिअर के जरिए ही सुनाने जा रहे हैं। पहचान न बताने की शर्त पर उसने मुर्शिदाबाद के ही हमारे सहयोगी से मुलाकात की। सहयोगी ने उसे बताकर सारी बातें फोन में रिकॉर्ड कीं।
हमें कैरिअर से मिलने में 4 दिन लग गए। उसने कहा है कि मेरी आइडेंटिटी बाहर आई तो मेरे बच्चों का भविष्य खत्म हो जाएगा। मैं नहीं चाहता वे इस काम में आएं। दोनों के बीच बातचीत बांग्ला भाषा में हुई है। हमने इसे हिंदी में ट्रांसलेट किया है।
रिपोर्टर: बाबू भाई…
कैरिअर: बोलिए..
रिपोर्टर: दो दिन से मैं आपको फोन कर रहा हूं, आप न उठा रहे हैं, न ही कॉल बैक कर रहे हैं, क्यों?
कैरिअर: फोन उठाता नहीं हूं मैं, फोन उठाना मुश्किल का काम हो गया है।
रिपोर्टर: क्यों?
कैरिअर: मेरे पास बड़ा फोन नहीं है, जिसमें सभी के नंबर थे। एक छोटा फोन है। उसमें किसी के नंबर सेव नहीं हैं। सारे सेव नंबर डिलीट कर दिए है। आपका नंबर भी मैं पहचान नहीं पाया अभी। समझ रहे हो न आप। अभी किसी का भी फोन उठाना मना है।
रिपोर्टर: ऐसा क्यों? काम-धंधा अच्छा नहीं चल रहा है क्या?
कैरिअर: काम-धंधा तो अच्छा चल रहा है, लेकिन CBI, BSF, पुलिस की वजह से सिचुएशन टफ हो गई है। यदि मैं पकड़ा जाता हूं तो मेरे परिवार की देखरेख कौन करेगा? देख रहे हैं न, यही सब चल रहा है। मेरे घर में मां-बाप नहीं हैं। अगर हम लोग फंस जाते हैं तो कौन हमारे बीवी-बच्चों को देखेगा।
रिपोर्टर: अच्छा। कितने पैसे मिलते है?
कैरिअर: पैसे तो ठीक-ठाक हैं। कभी 5, कभी 8,10, 11, 12.. जब जैसा माल वैसे पैसे मिल जाते हैं। मैं अकेला नहीं हूं। जैसा मुझे मिलता है, वैसा दूसरों को भी तो मिलेगा ही।
रिपोर्टर: ये जो बाइक से गए, वे कौन हैं? क्या वे इन्फॉर्मर या वॉचमैन हैं?
कैरिअर: कौन कह सकता है। हो सकता है कि वे मुझ पर नजर रख रहे हों। वे मुझसे शाम को पूछ सकते हैं कि मैं किसके साथ बात कर रहा था। असाइनमेंट के हिसाब से मैं अपनी ड्यूटी करता हूं। यह बिजनेस बहुत खराब है। एक बार पकड़ा गया तो कोई मुझे छुड़ाएगा नहीं।
रिपोर्टर: फिर भी कुछ तो बता दो।
कैरिअर: मोटा-मोटी 5, 7, 10 मिल जाता है।
रिपोर्टर: कितना माल लाना पड़ता है?
कैरिअर: यह सब मैं बोल नहीं सकता। कभी आधा किलो, तो कभी सात किलो तक रहता है।
रिपोर्टर: कैसे लाते हो? बैग में डालकर लाते हो क्या?
कैरिअर: नहीं। अलग-अलग तरीके से। छोटी चीजें पैंट के पॉकेट में, अंडरवियर के पॉकेट में।
रिपोर्टर: पैसा कितना देते हैं?
कैरिअर: बताया तो पैकेट पर निर्भर है। कभी 5 हजार, कभी 7 हजार दिया मुझे। अच्छा क्या कर रहे हैं आप। मेरी बातों को रिकॉर्ड कर रहे हैं क्या? रखिए फोन, फोन रखिए।
रिपोर्टर: हां, रिकॉर्ड कर तो रहा हूं।
कैरिअर: नहीं, नहीं, यह सब नहीं करो। आप हम जैसे लोगों को फंसा रहे हैं, हम लोग कुछ भी नहीं है। अगर मैं फंस गया तो मेरे बच्चों को क्या खिलाऊंगा।
रिपोर्टर: नहीं, नहीं आप नहीं फंसेंगे। मैं आपका नाम नहीं लिखूंगा।
कैरिअर: कौन यह काम दे रहा है, कौन करवा रहा है, यह सब आप जानते हैं। यह सब सार्वजनिक है। एक बीड़ी दो, एक बीड़ी।
रिपोर्टर: बीड़ी पिओगे। अच्छा लो। कितने लोग यह काम करते हैं?
कैरिअर: अरे, यह सब न बोला जाता है, न ही गिना जाता है। हम लोग बस काम करते हैं। गरीब आदमी के बच्चे हैं हम लोग।
रिपोर्टर: आप पैसा कम बता रहे हैं मुझे।
कैरिअर: हर दिन एक सी कमाई नहीं होती। जब जैसा काम वैसी ही कमाई। जैसे 5 किलो मेरे पास है, तो बदले में दस हजार दिया। सच बोल रहा हूं। यह काम खराब है।
रिपोर्टर: आपको डर लगता है।
कैरिअर: डर लगेगा नहीं क्या? मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चे को कोई नहीं पूछेगा। यह 4-5 किलोमीटर का रास्ता रिस्क भरा है। कितने सारे लोग होते हैं इस रास्ते पर।
रिपोर्टर: अच्छा, कौन सा समय सही होता डिलीवरी करने के लिए। क्या रात में?
कैरिअर: स्मगलिंग का कोई फिक्स टाइम नहीं होता। यह रात, आधी रात, अलसुबह या दोपहर में हो सकती है। जब जैसी डिमांड आई। हम लोगों का जीवन नहीं। कभी भी कुछ हो सकता है।
दूसरा सीन: रिपोर्टर की अफसरों से बातचीत
सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर और डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) के एक रिटायर्ड ऑफिसर के मुताबिक भारत और बांग्लादेश के बीच गोल्ड तस्करी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत में गोल्ड ड्यूटी 7.5 से बढ़कर 12.5% होना है। 2.5% का सेस भी है।
गोल्ड के मेन सोर्स दुबई, सिंगापुर, मलेशिया और साउथ अफ्रीका हैं। ज्यादातर गोल्ड ढाका के हजरत शाह जलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से आता है। कुछ म्यांमार से भी आता है। हुंडी या मनी एक्सचेंजर और कुछ गोल्ड रैकेट इसमें शामिल हैं। बांग्लादेश पुलिस के मुताबिक बांग्लादेश में इसके 26 रैकेट एक्टिव हैं।
कोलकाता के ट्रेडर दीपक कुमार आचार्य, मुंबई के दिनेश मांगीलाल, जिग्नेश कुमार और सुरेश कुमार बांग्लादेश में अरेस्ट हुए। इन्हें 2018-19 में पकड़ा गया था। नेपाली ट्रेडर गौरंगा रोशन को भी कुछ साल पहले अरेस्ट किया गया था। इससे साबित होता है कि गोल्ड ट्रेडर्स के इशारों पर ही गोल्ड स्मगलिंग चल रही है।
बीते 5 साल में बांग्लादेश के इंटेलिजेंस ने 2.5 टन सोना रिकवर किया है। BSF ने 133 किलो सोना बीते 3 साल में रिकवर किया।
बांग्लादेश में देबकुमार दास नाम के शख्स को 13 किलो सोने के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसने खुद को कोलकाता के न्यू मार्केट थाने के चांदनी चौक का गोल्ड ट्रेडर बताया था। अब तक उसकी दुकान नहीं खोजी जा सकी है। उसके स्टेटमेंट के आधार पर बांग्लादेश पुलिस ने अवामी लीग के पूर्व सांसद काजी सिराजुल इस्लाम और दूसरे नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया था।
कुछ एक्सचेंजर हैं। जैसे भाई-भाई मनी एक्सचेंज चलाने वाले मिजानुर रहमान और पैरामाउंट मनी एक्सचेंज के ओनर जहांगीर। ये भी बांग्लादेश सरकार की नजर में हैं। पकड़े गए कुछ लोगों ने पूछताछ में इनका नाम बताया था। पिछले 5 साल में बांग्लादेश पुलिस ने 200 लोगों को हिरासत में लिया और 35 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एयरपोर्ट स्टाफ भी शामिल है।
तीसरा सीन :रिपोर्टर इन्वेस्टिगेशन
बंगाल के गोल्ड मर्चेंट्स साल में दो-तीन बार बांग्लादेश जाते हैं। यह टूर रिश्तेदारों से मिलने के नाम पर होता है। ट्रेडर्स खुद सीधे तौर पर स्मगलिंग नहीं करते, बल्कि उनके एजेंट्स तय हैं। भारत में 22 से 24 कैरेट क्वालिटी वाले 10 ग्राम सोने की कीमत 48 हजार से 50 हजार रुपए के बीच है।
वहीं दुबई, बैंकॉक से बांग्लादेश होते हुए जो सोना भारत आता है, वह 30 से 35 हजार में मिल जाता है। यानी सीधे 15 हजार रुपए का अंतर तो यहीं है। डिमांड और सप्लाई के हिसाब से रेट ऊपर-नीचे होता रहता है। ट्रेडर अपने एजेंट्स के जरिए बांग्लादेश में रेट फिक्स करवाते हैं।
पश्चिम बंगाल के दो जिले नॉर्थ 24 परगना और मुर्शिदाबाद से खासतौर से गोल्ड स्मगलिंग हो रही है। यह ज्यादातर बिस्किट में होता है। चांदी भारत से बांग्लादेश भेजी जाती है। यह बाइक के टायर, एयर फिल्टर या ऑयल टैंक में रखकर बॉर्डर तक पहुंचाई जाती है।
मुर्शिदाबाद जिले का करीब 125 किमी का हिस्सा बांग्लादेश बॉर्डर से सटा हुआ है। इसमें से 95 किमी से ज्यादा में फेंसिंग नहीं है। गंगा या पद्मा नदी यहां बॉर्डर का काम करती है। नॉर्थ 24 परगना जिले में भी ऐसा ही है।
ठंड और बारिश में तस्करी सबसे आसान
कैरिअर अनजान लोगों से फोन पर बात नहीं करते। भास्कर रिपोर्टर की 6 महीने पहले एक कैरिअर से रानीनगर के शेखपाड़ा में मुलाकात हुई थी। तब उसने बताया था कि एक असाइनमेंट के हमें 6 हजार से 15 हजार रुपए तक मिलते हैं।
बारिश और ठंड के मौसम में तस्करी ज्यादा होती है, क्योंकि बारिश में जूट काफी बड़ी हो चुकी होती है और ठंड में कोहरा इतना होता है कि कुछ दिखाई नहीं देता। इससे तस्करी आसान हो जाती है।
यही वजह है कि ज्यादातर गोल्ड और सिल्वर स्मगलर जून से अगस्त के बीच अरेस्ट होते हैं। या फिर दिसंबर से फरवरी में। इससे पता चलता है कि यह स्मगलिंग का पीक टाइम होता है।
सोने के कारोबारी नहीं चाहते कि CCTV कैमरे लगें
2013-14 में हुमायूं कबीर के SP रहने के दौरान पुलिस ने खागरा में ओपन एरिया को CCTV से कवर करने का प्रपोजल दिया था। गोल्ड मर्चेंट्स ने इसका विरोध किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बॉर्डर पार से आने वाले सोने पर उनकी कितनी डिपेंडेंसी है।