नागपंचमी पर शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

नागपंचमी पर शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

काशी में महादेव को अर्पित हो रहा दूध और लावा, प्रयागराज से पहुंचे कांवड़ियों ने किया जलाभिषेक

वाराणसी (जनवार्ता) | सावन मास की नागपंचमी पर मंगलवार को काशी सहित पूरे पूर्वांचल के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं ने तड़के से ही विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक शुरू कर दिया। श्री काशी विश्वनाथ धाम में अलसुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा को दूध, गंगाजल और लावा अर्पित कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

प्रयागराज, भदोही, जौनपुर, मिर्जापुर और गाजीपुर समेत कई जिलों से कांवर लेकर पहुंचे श्रद्धालु विश्वनाथ धाम में जल चढ़ाने को आतुर दिखे। प्रशासन के अनुसार नागपंचमी पर काशी में तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।

श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने पांच प्रमुख मार्गों से दर्शन की व्यवस्था की है। तीन गेटों से दो-दो लाइनों के माध्यम से प्रवेश दिया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों के लिए सुबह और शाम के समय स्पर्श दर्शन की विशेष सुविधा प्रदान की गई है। मंदिर प्रशासन श्रद्धालुओं का स्वागत पुष्पवर्षा और रेड कारपेट के माध्यम से कर रहा है, जिससे माहौल भक्तिमय और भव्य बना हुआ है।

यातायात व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए रविवार रात से ही विश्वनाथ धाम के प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक प्रतिबंध और डायवर्जन लागू कर दिया गया है। गोदौलिया से मैदागिन तक का क्षेत्र नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है। श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि गोदौलिया से गेट नंबर-4 और मैदागिन से गेट नंबर-4 तक वृद्ध, दिव्यांग और अशक्त दर्शनार्थियों के लिए निःशुल्क ई-रिक्शा की सुविधा दी गई है।

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धाम परिसर में बहुभाषी कर्मियों के साथ खोया-पाया केंद्र सक्रिय है, ताकि किसी भी असुविधा की स्थिति में श्रद्धालुओं को सहायता मिल सके। इसके अलावा मेडिकल इमरजेंसी के मद्देनजर चिकित्सा स्टाफ के साथ एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई है। किसी भी आकस्मिक स्थिति में श्रद्धालुओं को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

सावन और नागपंचमी की इस संयोगपूर्ण तिथि पर बाबा विश्वनाथ के दर्शनों के लिए उमड़ा यह आस्था का सैलाब एक बार फिर यह साबित करता है कि काशी की धार्मिक विरासत आज भी संपूर्ण भारतवर्ष के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनी हुई है।

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