शैक्षणिक संस्थानों में ‘हिंदी थोपने’ के खिलाफ DMK का प्रदर्शन,BJP ने लगाया ‘भाषा की राजनीति’ का आरोप

शैक्षणिक संस्थानों में ‘हिंदी थोपने’ के खिलाफ DMK का प्रदर्शन,BJP ने लगाया ‘भाषा की राजनीति’ का आरोप

नई दिल्ली। DMK ने शनिवार को केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने की संसदीय समिति की सिफारिश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। ‘हिंदी थोपने’ को लेकर जारी गतिरोध के बीच DMK यूथ विंग के सचिव और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संसदीय समिति की सिफारिश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

DMK का प्रदर्शन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन की ओर से केंद्र सरकार को पत्र लिखने और हिंदी भाषा थोपने के खिलाफ चेतावनी देने के बाद आया है। पत्र में उन्होंने कहा कि केंद्र हिंदी को लागू करके एक और भाषा युद्ध को मजबूर ना करे।

भाषा की राजनीति कर रही है DMK:BJP
डीएमके के विरोध पर BJP नेता नारायणन तिरुपति ने रिपब्लिक टीवी को बताया कि DMK अनावश्यक रूप से राज्य की कानून व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि सत्ताधारी डीएमके राज्य में झूठी सूचना फैलाकर लोगों को गुमराह करने का कर रही है।

BJP नेता ने आगे कहा “DMK तमिलनाडु में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बाधित करने की कोशिश कर रही है। वे इस मुद्दे पर भाषा की राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोगों में यह भावना पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि केंद्र हिंदी थोपने की कोशिश कर रहा है, जो सच नहीं है। वे लोगों को भड़का रहे हैं। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।’’

तिरुपति ने आगे कहा, “मुख्यमंत्री जिम्मेदारी से व्यवहार नहीं कर रहे हैं,रिपोर्ट गोपनीय है,मुझे नहीं पता कि मुख्यमंत्री को इसकी सिफारिशें कैसे पता चलीं।”

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एक और भाषा युद्ध को मजबूर न करें: स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने 10 अक्टूबर को केंद्र को एक पत्र लिखकर “एकता बनाए रखने” का आग्रह किया और केंद्र से अनुरोध किया कि वह हिंदी को लागू करके एक और भाषा युद्ध को मजबूर न करे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि “भारतीय उपमहाद्वीप का गौरव विविधता की भावना में है, लोग भाईचारे के साथ रह रहे हैं। लेकिन भाजपा देश में एक राष्ट्र, एक धर्म के एक भोजन और एक संस्कृति रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है। इससे भारत की एकता प्रभावित होगी।”

स्टालिन ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि कैसे भारत विविधता का देश है और हमें सभी भाषाओं के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने आगे भाजपा पर देश की एकता को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। “केंद्र की भाजपा सरकार की ओर से हिंदी थोपने और भारत की विविधता को नकारने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं वो खतरनाक हैं। संसदीय राजभाषा समिति की रिपोर्ट के 11 वें खंड में किए गए प्रस्ताव भारत की आत्मा पर सीधा हमला हैं।

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