मानसून से पहले बारिश आने की सूचना देने वाले इस ‘दूत’ पर सरकार मेहरबान,सरकार खर्च करेगी ₹33 करोड़
जयपुर। राजस्थान में मानसून से पहले बारिश आने की सूचना देने वाले इस ‘दूत’ पर सरकार मेहरबान हुई है। हम बात कर रहे हैं खरमोर की। खरमोर को मरुधरा में मानसून से पहले बारिश का अग्रदूत माना जाता है। कहा जाता है कि मानूसन की बारिश से ठीक 7-8 दिन पहले वो खरनोर नजर आने लगता है। खेतों में उसके दिखने के बाद माना जाता है कि अब मानसून की बारिश शुरू होने वाली है। अब इसी खरमोर को बचाने के लिए हाड़ौती के सोरसन संरक्षित वन क्षेत्र में दुर्लभ पक्षी खरमोर का ब्रीडिंग सेंटर का काम शुरू हो गया। बारां की अंता तहसील के इस सोरसन वन क्षेत्र में यह प्रदेश का दूसरा खरमोर ब्रीडिंग सेंटर होगा। यहां प्रशासनिक भवन, प्रजनन केंद्र, केयर सेंटर, डॉक्टर्स, विशेषज्ञ निवास के लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया। इसकी मॉनिटरिंग डब्ल्यूआईआई और सीपीडब्ल्यूडी अजमेर के विशेषज्ञ कर रहे हैं। निर्माण कार्य पूरा होने में करीब 6 महीने का समय लगेगा। इसके बाद जल्द ही यहां अजमेर से खरमोर को ट्रांसलोकेट की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
2019 में बारां जिले के सोरसन में गोडावण ब्रीडिंग सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्र, राज्य सरकार और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बीच एमओयू हुआ था, लेकिन राजनीतिक अटकलों और तकनीकी दिक्कतों की वजह से ये प्रोजेक्ट अटका हुआ था। इसी बीच जैसलमेर में गोडावण ब्रीडिंग सेंटर शुरू कर दिया गया। करीब पांच साल इंतजार के बाद प्रोजेक्ट में कुछ बदलाव करते हुए अब सोरसन में खरमोर कंजर्वेशन ब्रीडिंग फेसिलिटी कंजर्वेशन बनाने की योजना है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि अभी अजमेर में ही खरमोर का ब्रीडिंग सेंटर है,लेकिन बारां के सोरसन में तैयार हो रहा खरमोर ब्रीडिंग सेंटर प्रदेश का मुख्य सेंटर रहेगा।
प्रोजेक्टर के लिए 676 हैक्टेयर जमीन रिजर्व,5 हैक्टेयर का होगा उपयोग
प्रोजेक्ट की लागत 33 करोड़ रुपए से अधिक है। ब्रीडिंग सेंटर के लिए सोरसन में करीब 676 हैक्टेयर जमीन रिजर्व है। सेंटर से जुड़े प्रतिनिधियों ने बताया कि प्रस्तावित निर्माण कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद मौके पर काम शुरू कर दिया है। करीब 25 हैक्टेयर भूमि उपयोग में ली जाएगी। इसके तहत प्रशासनिक भवन बनाया जाएगा। साथ ही खरमोर पक्षियों के रखने के लिए भवन व अलग-अलग पिंजरे बनाए जाएंगे। घायल व बीमार पक्षियों के इलाज और देखभाल के लिए केयर सेंटर ओर हॉस्पिटल भी बनाया जाएगा। जिले के सोरसन में हाड़ौती का सबसे बड़ा ग्रासलैंड होने के कारण इस जगह का चयन किया है।
खरमोर ब्रीडिंग सेंटर का सोरसन में काम शुरू हो गया है। इस प्रोजेक्ट पर करीब 33 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां अजमेर सेंटर से चूजों को लाया जाएगा। विशेषज्ञों की मौजूदगी में उनकी देखभाल और प्रजनन को लेकर प्रक्रिया की जाएगी। इस प्रोजेक्ट से बारां जिले में वाइल्ड लाइफ पयर्टन को भी बढ़ावा मिलेगा।
अनिल यादव, उपवन संरक्षक, बारां
ब्रीडिंग सेंटर में बनाई जाएगी टनल
खरमोर के लिए सोरसन ब्रीडिंग केंद्र में विशेष टनल भी बनाई जाएगी। इसमें खरमोर के लिए फीडिंग सहित अन्य सुविधाएं होंगी। इसमें खरमोर का जोड़ा रहेगा। वे आधुनिक टनल से होकर भवन और उसके बाहर बनाए जाने वाले पिंजरों में आ जा सकेंगे। चूजों व बड़े पक्षी के लिए अलग-अलग पिंजरे तैयार किए जाएंगे। प्रजनन के लिए खरमोर के जोड़ों को विशेष पिंजरों मे रखा जाएगा। इन्क्यूबेशन सेंटर जहां अंडों को निर्धारित तापमान व वातावरण में रखा जाएगा। इसी में चूजों को एक महीने तक रखा जाएगा। बर्ड फूड प्रोसेसिंग यूनिट का भी निर्माण किया जाएगा। सेंटर शुरू होने के बाद यहां विशेषज्ञ चिकित्सक व वैज्ञानिक नियुक्त किए जाएंगे। इसके बाद अजमेर से चूजों को सोरसन में बन रहे खरमोर ब्रीडिंग सेंटर में लाया जाएगा।
खरमोर पक्षी इको सिस्टम का भी अहम हिस्सा है, जो विलुप्त कगार पर है। इसके संरक्षण को लेकर डब्ल्यूआईआई की ओर से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके प्राकृतिक आवास ग्रासलैंड को भी बचाने के प्रयास किए जा रहे है। यह शर्मिला एवं एकाकी स्वभाव का पक्षी है। खरमोर मादा की ऊंचाई नर खरमौर से अधिक होती है। नर खरमोर की ऊंचाई करीब 45 सेमी और मादा की 52 सेमी होती है। ये घास में आसानी से छिपकर सुरक्षित रह जाते हैं। सितंबर में मादा पक्षी अंडे देती है। आवाज मेंढ़क की तरह होती है। जमीन से छह से आठ फीट ऊंची छलांग लगा सकते हैं। बताया जाता है कि नर खरमोर, मादा को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रकार की तेज टर्र-टर्र की आवाज निकालते हुए एक जगह स्थान पर खड़े रहकर उछल-कूद करने लगता है। नर खरमोर मादा खरमोर को प्रजनन के लिए आकर्षित करने के लिए लगातार ऊंची ऊंची छलांगे लगाता है। प्रजनन काल के दौरान नर खरमोर एक दिन में 300-400 बार उछलता छलांग लगता दिख जाता है।