मसाजिद कमेटी पर मुकदमा दर्ज करने की याचिका खारिज,छेड़छाड़ का था आरोप

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वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में काशी विश्वेश्वर मंदिर के मूल स्वरूप को बदलने एवं धार्मिक प्रतीकों को नष्ट करने के मामले में दाखिल पुनरीक्षण याचिका को जिला जज डॉ.अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।

जिला जज की ओर जारी आदेश में कहा गया कि निगरानी याचिका में ऐसे किसी तथ्य का उल्लेख नहीं है, जिससे संज्ञेय अपराध बनता है। आवेदन तभी सुनवाई योग्य है, जब प्रार्थना पत्र में तथ्य का उल्लेख किया गया हो। इसी आधार पर विपक्षी पर संज्ञेय अपराध किया जाना माना जा सकता है।

ऐसी स्थिति में निचली अदालत में पहले दाखिल आवेदक व पुनरीक्षणकर्ता का प्रार्थना पत्र खारिज करने में किसी तरह की कोई गलती नहीं की गई है। इस विवेचन के प्रकाश में यह पुनरीक्षण याचिका खारिज होने योग्य है। यहां बता दें कि विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका में निचली अदालत के आदेश को चुनौती की गई थी।
विसेन ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर के मूल स्वरूप की पुताई, अन्य साधनों द्वारा बदलने एवं धार्मिक प्रतीकों को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव एमएस यासीन एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अपील करते हुए विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था।
निचली अदालत ने 30 मई 2022 को प्रार्थना पत्र को यह कहकर खारिज कर दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर प्रकरण को लेकर सिविल वाद जिला न्यायालय में विचाराधीन है। जिला जज ने भी निचली अदालत के आदेश के आधार पर ही इस पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है।

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