वाराणसी में भी फैली हैं अतीक अहमद और भाई अशरफ की जड़ें, चोरी-छिपे करते थे ये काम
प्रयागराज | प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड से प्रदेश की पुलिस के लिए चुनौती बने माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की जड़ें वाराणसी में भी गहरी हैं। कुछ स्थानीय कारोबारियों के सहयोग से दोनों होजरी, इलेक्ट्रॉनिक व कॉस्मेटिक उत्पादों के साथ पान मसाला का कारोबार करते हैं। यह सब गोपनीय तरीके से होता है। सीजीएसटी व जीएसटी का भुगतान तक नहीं किया जाता है। इसकी सूचना जांच एजेंसियों को मिल गई है। अब अतीक व अशरफ से संबंध रखने वाले कारोबारियों की कुंडली खंगाली जा रही है। पता किया जा रहा है कि कारोबारी किस तरह से माफिया व उसके भाई को आर्थिक लाभ पहुंचा रहे हैं।
माफिया अतीक अहमद का दबदबा सिर्फ अपराध जगत में ही नहीं है। उमेश पाल हत्याकांड की जांच से जुड़े अफसरों का कहना है कि अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ जीएसटी, सीजीएसटी चोरी करके सालाना करोड़ों रुपये जुटाते हैं। इसमें पार्सल बुक कराने से लेकर सरकारी विभागों के अफसर ही मददगार हैं। बिना टैक्स चुकाए जो माल दिल्ली आता है, उसे प्रयागराज के साथ वाराणसी के बाजार में खपाया जाता है। इसकी गुणवत्ता भी ठीक नहीं रहती है। मामले की सूचना टैक्स से जुड़े विभागों को भी दी जा चुकी है। विभागीय अफसर जांच में जुट गए हैं।
प्रयागराज में रहने वाला व्यक्ति चला रहा कारोबार
गुजरात की साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद के गिरोह की परतें उधेड़ने के लिए प्रयागराज की पुलिस के साथ ही अलग-अलग एजेंसियां इन दिनों जी-जान से जुटी हैं। गिरोह के बदमाशों पर शिकंजा कसने के साथ ही उनके आर्थिक साम्राज्य को भी ध्वस्त करने का काम चल रहा है। इसी कड़ी में सामने आया है कि प्रयागराज में सरकारी विभागों में पार्सल की बुकिंग करने वाला एक व्यक्ति अतीक और अशरफ के होजरी, इलेक्ट्रॉनिक व कॉस्मेटिक उत्पाद के साथ पान मसाला दूसरों के नाम से बगैर बिल के दिल्ली से मंगवाता है। संबंधित विभागों के अधिकारियों की मदद से टैक्स दिए बगैर ही माल प्रयागराज और वाराणसी आता है। यहां से अतीक के गुर्गे माल उठाते और बाजारों तक ले जाते हैं। इसके बदले में मददगार कुछ सरकारी अफसरों को मोटी रकम दी जाती है। बताया जा रहा है कि अतीक और अशरफ के प्रयागराज निवासी करीबी एजेंट के खिलाफ जल्द ही पुख्ता साक्ष्य के साथ कार्रवाई होगी।
जिन पर कार्रवाई का जिम्मा, वही मददगार
अतीक और अशरफ की काली कमाई में वही लोग मददगार हैं, जिनके ऊपर कार्रवाई की जिम्मेदारी है। बताया जा रहा है कि चेकिंग की भनक लगते ही अतीक गिरोह से सांठगांठ कर काम करने वाले अफसर उसके एजेंट को सूचना दे देते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बनारस उतरने वाला माल प्रयागराज उतार लिया जाता है। बाहरी हिस्से में भी माल उतारा जाता है।
पक्के के साथ ही आता है कच्चा माल
जांच से जुड़े अफसरों का कहना है कि पार्सल में पक्के के साथ कच्चा माल भी रहता है। पक्का माल उसे कहते हैं, जो प्रामाणिक बिल के साथ आता है। सरकार से निर्धारित टैक्स का भुगतान भी किया जाता है। कच्चा माल उसे कहते हैं, जो बगैर बिल के आता है। सादे कागज में उसका इस्टीमेट लिखा जाता है। कच्चा माल आने पर टैक्स की जितनी बचत होती है, उसी में एक हिस्सा पार्सल बुक करने वाले और संबंधित सरकारी विभागों के अफसरों के साथ ही एजेंट को दिया जाता है।