वैष्णो देवी रोपवे प्रोजेक्ट के विरोध में हिंसा,प्रदर्शनकारियों ने किया पथराव,फोर्स तैनात
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के कटरा में लंबे समय से चल रहे वैष्णो देवी रोपवे प्रोजेक्ट के विरोध ने सोमवार को हिंसक रूप ले लिया। घोड़ों और पालकी चलाने वालों के नेतृत्व में हो रहे इस प्रदर्शन में पत्थरबाजी हुई और सुरक्षा बलों के वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया। यह प्रोजेक्ट 250 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों की यात्रा को आसान बनाना है।
अचानक हिंसक मोड़
प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार से विरोध शुरू किया था। जो पहले तीन दिनों तक शांतिपूर्ण रहा। हालांकि सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सीआरपीएफ पर पत्थरबाजी की। रियासी के एसएसपी परमवीर सिंह ने कहा कि हम तीन दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन को संभाल रहे थे, लेकिन आज कुछ प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया। स्थिति को जल्द सामान्य किया जाएगा।
बढ़ाई हड़ताल की अवधि
प्रदर्शनकारियों में दुकान मालिकों, घोड़ा-पालकी चलाने वालों और श्रमिकों ने हिस्सा लिया। रविवार को इन लोगों ने सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट कार्यालय और शालीमार पार्क के बाहर धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने अपनी 72 घंटे की हड़ताल को 24 घंटे और बढ़ा दिया। उनके अनुसार यह प्रोजेक्ट उनके रोजगार पर बुरा असर डालेगा।
तीर्थयात्रियों को हो रही परेशानी
पालकी और घोड़ों की सेवाएं बंद होने से तीर्थयात्रियों को विशेषकर बुजुर्गों और दिव्यांगों को कठिनाई हो रही है। विरोध के कारण बाण गंगा से चरणपादुका तक की दुकानों ने भी शटर गिरा दिए, जिससे यात्रा मार्ग पर सन्नाटा छा गया है।
पर्यावरणीय असर और नौकरी का संकट
स्थानीय लोगों का कहना है कि रोपवे प्रोजेक्ट पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा और उनकी रोजी-रोटी छीन लेगा। उन्होंने प्रशासन पर बिना पर्याप्त चर्चा के परियोजना को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि घोड़े, पालकी और दुकानों पर निर्भर परिवार बेरोजगार हो जाएंगे।
आश्वासन
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रदर्शनकारियों को रोजगार को लेकर आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना और स्थानीय लोगों के पुनर्वास पर संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में विचार हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विकास कार्यों के साथ स्थानीय लोगों की चिंताओं का समाधान किया जाएगा।
श्राइन बोर्ड का दावा
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इस रोपवे प्रोजेक्ट को तीर्थयात्रियों के लिए गेम चेंजर बताया है। बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग के अनुसार रोपवे परियोजना उन तीर्थयात्रियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगी, जिन्हें कठिन चढ़ाई में समस्या होती है। इस प्रोजेक्ट के तहत 12 किलोमीटर के ट्रैक पर ताराकोट मार्ग से सांझी छत तक रोपवे बनाया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों का अगला कदम क्या?
प्रदर्शनकारी समिति ने कहा है कि वे आगे की रणनीति तय करने के लिए फिर से बैठक करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से स्पष्ट किया है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन और तेज होगा। इस विरोध ने प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है।