कब है तुलसी विवाह? जानिए तारीख,मुहूर्त और पूजा विधि
नई दिल्ली। सनातन धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि कार्तिक माह में आने वाले देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागे थे, जिसके बाद इसी दिन उनके शालिग्राम रूप का विवाह माता तुलसी के साथ किया गया था। इस परंपरा को हिंदू धर्म में आगे बढ़ाते हुए आज भी तुलसी विवाह कराया जाता है।
हर साल तुलसी विवाह के दिन भक्त मंदिरों और घरों में मां तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करवाते हैं। वहीं, कुछ लोग द्वादशी तिथि के दिन भी तुलसी विवाह करवाते हैं। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह के साथ ही सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। आइए जानते हैं कि इस साल तुलसी विवाह किस दिन पड़ रहा है।
विवाह की तिथि
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की एकादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह कराया जाता है। ऐसे में इस साल ये तिथि 22 नवंबर बुधवार की रात 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 23 नवंबर गुरुवार की रात 9 बजकर 1 मिनट पर खत्म हो जाएगी। वहीं, द्वादशी तिथि इस बार 23 नवंबर गुरुवार से शुरू होकर 24 नवंबर शुक्रवार शाम 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में द्वादशी तिथि यानी 24 नवंबर को तुलसी विवाह किया जाएगा। यानि कि देशभर में इस साल 24 नवंबर को तुलसी विवाह कराए जाने के साथ ही विभिन्न मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
वहीं, अगर तुलसी विवाह मुहूर्त की बात की जाए तो इसका पहला शुभ मुहूर्त 24 नवंबर शुक्रवार की सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इसके बाद पूजा का अगला शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इसके मुताबिक, आप 24 नवंबर के दिन दो शुभ मुहूर्त में तुलसी विवाह पूजन कर सकते हैं।
विवाह पूजा विधि
देव उठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
फिर इस दिन के व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
अब एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें।
तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें और रोली, चंदन का टीका लगाएं।
इसके बाद चौकी के साथ में एक कलश स्थापित करें जिसमें पानी भरा हो।
अब इस कलश के ऊपर आम के पांच पत्ते रखें।
फिर तुलसी के गमले में गेरू लगाएं
इसके बाद तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं।
अब तुलसी के गमले में गन्ने से मंडप बनाएं।
तुलसी माता के सिर को लाल चुनरी से ढंकें।
इसके बाद गमले को साड़ी से लपेट कर उन्हें दुल्हन की तरह तैयार करें।
अब शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा कराएं।
इसके बाद आरती करें।
और अंत में तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे।