पीके रोजी हीरोइन बनी तो जिंदगी नर्क हो गई:हीरो ने दलित रोजी के बालों का फूल चूमा तो भड़के लोग

पीके रोजी हीरोइन बनी तो जिंदगी नर्क हो गई:हीरो ने दलित रोजी के बालों का फूल चूमा तो भड़के लोग
ख़बर को शेयर करे

नई दिल्ली। अभी तक आपने कई फिल्मी सितारों की अनसुनी दास्तानें पढ़ीं। आज हम आपको एक ऐसी नायिका की कहानी सुनाते हैं, जिसके लिए हीरोइन बनना अपनी जिंदगी को जीते-जी नर्क बनाना साबित हुआ। पहली फिल्म के पहले ही शो के बाद लोग उसकी जान लेने पर आमादा हो गए, थिएटर जला दिए गए।

उसे अपनी बाकी जिंदगी गुमनामी में गुजारनी पड़ी। इतनी गुमनामी में कि आज गूगल पर भी उसकी सिर्फ एक धुंधली सी तस्वीर है। ना तो कोई फोटोशूट और ना ही कोई वीडियो, कुछ भी नहीं।

रोजी का सिर्फ एक कसूर था कि वो दलित थी। कोई नीची जाति की लड़की फिल्म की हीरोइन कैसे बन सकती है, ये सोच कर ऊंची जाति के लोगों ने उसकी पूरी जिंदगी तबाह कर दी।

जी हां, हम जो बता रहे हैं वो सुनने में डरावना सा है, लेकिन सच है। ये अनसुनी दास्तान है मलयाली फिल्मों की पहली नायिका पीके रोजी की। जिन्होंने अपने जीवन में सिर्फ एक ही फिल्म की, उसके बाद समाज से ऐसा छिपना पड़ा कि खुद उनकी बेटियां सालों तक जान नहीं पाईं कि उनकी मां मलयाली फिल्मों की पहली एक्ट्रेस हैं।

आज की अनसुनी दास्तानें में उन्हीं पीके रोजी की कहानी,जिनके साथ हीरोइन बन जाने पर जो बर्बरता हुई, वो सिहरन पैदा करने वाली है…

32 साल बाद मिली पहचान
7 नवंबर 1928 में विगताकुमारम रिलीज हुई, लेकिन दलित एक्ट्रेस होने के कारण चंद लोग ही इसे देखने पहुंचे। नतीजन, फिल्म फ्लॉप हो गई और डायरेक्टर जेसी डेनियल कंगाल हो गए। गांव के बिगड़े हालातों के कारण जेसी डेनियल भी शहर छोड़कर डेंटिस्ट बन गए। फिल्म रिलीज होने के 32 साल बाद पहली बार सिनेमा जर्नलिस्ट चेंगालट गोपालकृष्णन ने इसकी स्टोरी का जिक्र किया।

इसे भी पढ़े   इंस्टाग्राम का ग्लैमरस लुक बना मां-बेटी की हत्या की वजह

1971 में कुन्नूकूजी ने एक आर्टिकल के जरिए लोगों तक ये कहानी पहुंचाई। फिल्म की एक ही प्रिंट थी जो सालों पहले जल चुकी है और अब कहीं मौजूद नहीं है। दरअसल जेसी डेनियल के शहर छोड़ने के कुछ समय बाद उनके बेटे ने फिल्म की इकलौती रील जला दी थी।

कहां मिली रोजी की इकलौती तस्वीर
जिस एडवोकेड मल्लूर गोविंद पिल्लई ने रोजी को फिल्म देखने से रोका था, उन्हीं की फोटो गैलरी से पीके रोजी की एक तस्वीर मिल सकी। जो गूगल पर मौजूद रोजी की इकलौती तस्वीर है।

पीके रोजी का संघर्ष दिखाती 3 फिल्में
85 साल बाद 2013 में मलयालम के डायरेक्टर कमाल ने सेल्यूलॉइड फिल्म बनाई जिसमें जेसी डेनियल और मलयालम सिनेमा की पहली एक्ट्रेस पीके रोजी की कहानी दिखाई गई। ये फिल्म विनु अब्राहम की नॉवेल नष्ट नायिका पर आधारित थी। फिल्म में पॉपुलर एक्टर पृथ्वीराज ने जेसी डेनियल और न्यूकमर चांदनी गीता ने रोजी की भूमिका निभाई।

पीके रोजी की जिंदगी पर दो और फिल्में द लॉस्ट चाइल्ड और रोजीयुडे कथा (दिस इज रोजीज स्टोरी) बनाई गई। मलयालम सिनेमा की फीमेल एक्ट्रेस के ग्रुप ने अपनी सोसाइटी का नाम पीके रोजी फिल्म सोसाइटी रखा।

अफसोस कि रोजी को पहचान मिलने से पहले ही वो 1988 में दुनिया को अलविदा कह गईं। इससे पहले 27 अप्रैल 1975 को गुमनाम जिंदगी जीते हुए जेसी डेनियल का भी निधन हो गया।


ख़बर को शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *