कौन है वो वित्त मंत्री जिसने पेश नहीं किया एक भी बजट? हैरान कर देगी आपको जानकारी
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को सातवीं बार देश का बजट पेश करने जा रही हैं। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होने के कारण इस बार सैलरीड क्लॉस से लेकर किसान वर्ग तक को बजट से काफी उम्मीदें हैं। इस बार के बजट में टैक्स स्लैब में बदलाव करके सरकार की तरफ से नौकरीपेशा को राहत दी जा सकती है। किसानों के सरकार इस बार के बजट में कोई बड़ा ऐलान कर सकती है। लेकिन बजट से जुड़े कुछ फैक्ट के बारे में शायद ही आपको जानकारी हो।
बजट में सरकार की तरफ से पूरे वित्तीय वर्ष के खर्च का लेखा-जोखा पेश किया जाता है। सरकार की तरफ से सालभर का देश की आमदनी और खर्च का लेखा-जोखा पेश करने की शुरुआत ब्रिटेन में हुई थी। ब्रिटिश काल में पहली बार देश में 7 अप्रैल 1860 को बजट पेश किया गया था। फाइनेंस मेंबर जेम्स विल्सन ने पहली बार का बजट को पेश किया। आजादी के बाद ब्रिटेन के ही बजट पेश करने के तरीके को ही आगे बढ़ाया गया। जो कि काफी सालों तक जारी रहा।
इस वित्त मंत्री ने पेश नहीं किया एक भी बजट
यह बात सुनने में पहली बार अजीब लगती है कि देश में एक ऐसी भी वित्त मंत्री हुए हैं जिन्होंने एक भी बार बजट पेश नहीं किया। 35 दिन तक 1948 में वित्त मंत्री रहे केसी नियोगी इकलौते ऐसे वित्त मंत्री रहे, जिन्होंने एक भी बजट पेश नहीं किया। उनके बाद जॉन मथाई भारत के तीसरे वित्त मंत्री बने।
कब पेश होता है बजट
बजट को संसद में सुबह को 11 बजे पेश किया जाता है। इससे पहले ब्रिटिश शासन काल में बजट का टाइमिंग शाम के 5 बजे का होता था। उस समय ऐसा इसलिए किया जाता था,ताकि रातभर बजट पर काम करने वाले अधिकारियों को थोड़ा आराम मिल सके। लेकिन बाद में 1999 में बजट की टाइमिंग को बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया गया।
सबसे अधिक बार पेश किया बजट
भारत में सबसे अधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है। मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में 10 बार देश का बजट पेश किया है। इसमें आठ बजट और दो अंतरिम बजट शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार सातवीं बार बजट पेश करने जा रही हैं।
लाल बैग की परंपरा खत्म
सबसे पहले जब ब्रिटेन के वित्त मंत्री संसद में सरकार का खर्च और आय की जानकारी देते थे और इसे चमड़ें के लाल बैग में लेकर आया जाता था लेकिन भाजपा सरकार ने लाल बैग की परंपरा को खत्म किया।
जीएसटी का पहली बार जिक्र
28 फरवरी, 2006 को तत्कालीन फाइनैंस मिनिस्टर पी। चिदंबरम ने पहली बार बजट में जीएसटी की बात की थी। पहली बार यूपीए-2 के कार्यकाल में चिदंबरम की ओर से राष्ट्रीय एकल टैक्स की बात कही गई थी।
इंफ्रास्ट्रक्चर की बात कब हुई?
आपको बता दें कि देश की आजादी के बाद 30 साल तक पेश किए गए आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर शब्द का प्रयोग तक नहीं हुआ था। यह शब्द 1990 में ही चर्चा का विषय बना था। और आज यह इंफ्रास्ट्रक्चर दे की अर्थव्यवस्था में अपनी खास जगह बनाए हुए है।
महिला के मुद्दों पर टूटी चुप्पी
आम बजट के लिहाज से पहले महिलाओं को बजट में जगह नहीं मिली थी। बजट में महिलाओं के मुद्दों को बहुत देर से स्थान मिला। 1980 तक आम बजट में महिला मुद्दों का जिक्र भी नहीं किया जाता था। यानी इसके बाद ही महिलाओं के बारे में बजट में चर्चा होने लगी।