क्यों ‘सुसाइड हब’ बन रहा कोटा…पढ़ाई का प्रेशर या फिर अकेलापन क्या है वजह?
नई दिल्ली। कोटा में लगातार छात्रों के आत्महत्या करने के मामले बढ़ रहे हैं। रिपब्लिक की टीम ने कोटा के अलग-अलग हिस्सों से आत्महत्या की वजह और सवालों के जवाब जानने की कोशिश की। सबसे रिपब्लिक की टीम उस इलाके में पहुंची। जहां सबसे ज्यादा कोचिंग सेंटर हैं। जहां देशभर के लाखों बच्चे इंजीनियर, आईआईटियन और डॉक्टर बनने का सपना लेकर आते हैं।
रिपब्लिक से बात करते हुए छात्रों ने आत्महत्या का सबले बड़ा कारण पढ़ाई का प्रेशर और अकेलापन बताया। बच्चों का कहना है कि परिवार से दूर रहने के कारण वह अपने आप को अकेला महसूस करते हैं और लगातार पढ़ाई का प्रेशर उन्हें तनाव में डाल देता है। जिसकी वजह से वह किसी से बातचीत नहीं करते और फिर अवसाद में आकर आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं।
आत्महत्या समस्या का हल नहीं
कोटा में पढ़ाई कर रहे छात्रों का कहना है कि आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। बेहतर है कि प्रेशर लेना छोड़ दें और अपने परिवार को साफ कह दें कि उनके साथ रहना है। वहीं छात्रों को कोचिंग से हॉस्टल और पीजी तक छोड़ने वाले टैक्सी ड्राइवरों का कहना है कि बच्चे आत्महत्या इसलिए करते हैं। क्योंकि उन्हें 14-14 घंटे पढ़ाई करनी होती है। इसके बाद रिवीजन भी करना होता है। ड्राइवरों का कहना है कि हमने इसपर कई बार बच्चों को आपस में बात करते हुआ सुना है।
‘पेरेंट्स का साथ होना जरूरी’
रिपब्लिक की टीम ने पेरेंट्स से भी बात की। कोटा में कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो अपने पेरेंट्स के साथ रहकर तैयारी कर रहे हैं। बच्चों के साथ रह रहे पेरेंट्स का कहना है कि ’10th और 12th का बच्चा जब कोटा में कोचिंग करने के लिए आता है, तो स्कूल के प्रेशर से हटकर यहां एक बड़ा चैलेंज उनके सामने होता है। घंटों की पढ़ाई करनी होती है, लिहाजा कोई ना कोई परिवार का सदस्य उनके साथ होना बेहद ज्यादा जरूरी है। मेंटली प्रेशर कुछ समय के लिए आता है और उस वक्त किसी अपने का होना जरूरी है।’
‘छात्रों की होती है काउंसलिंग’
कोटा में बढ़ती हुई आत्महत्याओं को लेकर SHO विज्ञान नगर देवेंद्र भारद्वाज ने कहा कि लाखों बच्चे देशभर से कोटा में आते हैं। हम वक्त-वक्त पर काउंसलिंग करते हैं,लेकिन उनमें से कुछ चुनिंदा बच्चे ऐसे होते हैं जो अपनी बात ना तो किसी से कहते हैं और ना किसी को जाहिर होने देते हैं। ऐसे छात्रा अचानक से गलत कदम उठा लेते हैं।