योग से जुड़े जन, घाट बना संकल्प का गवाह
• शपथ और सेवा,योग को समर्पित रही शुक्रवार की शाम
•जनवार्ता का हस्ताक्षर अभियान रहा आकर्षण का केंद्र
• योग से ही होगा नया भारत सशक्त और स्वस्थ
वाराणसी | जनवार्ता डिजिटल | 20 जून 2025 अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से एक दिन पूर्व वाराणसी के ऐतिहासिक शीतला घाट पर “जनवार्ता” की ओर से *योग जनजागरूकता, शपथ ग्रहण और हस्ताक्षर अभियान* का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्देश्य था— *योग के प्रति जनमानस में साक्षरता बढ़ाना* और *हर वर्ग को योग के दैनिक अभ्यास के लिए प्रेरित करना।
🔹 *मुख्य आकर्षण:“योग करेंगे – निरोग रहेंगे” की शपथ में शामिल हुए हजारों काशीवासी और पर्यटक
हस्ताक्षर अभियान में जुटे युवा, महिलाएं, बुजुर्ग और साधु-संत।
गंगा तट पर बना योग जागरूकता का दृश्य अद्वितीय
प्रसिद्ध उद्यमी, संत, पत्रकारों की उपस्थिति ने दिया अभियान को जनबल
🎙️ प्रमुख वक्ताओं के विचार:
🔸 आर.के. चौधरी (उपाध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन | अध्यक्ष, वाराणसी विकास समिति)
“योग केवल शरीर का अभ्यास नहीं, यह आत्मा की ऊर्जा का मार्ग है। निरंतर योग से समाज निरोग बन सकता है।”
🔸 पं. किशोरी रमन दुबे ‘बाबू महाराज’(संस्थापक अध्यक्ष, गंगोत्री सेवा समिति | महंत, शीतला माता मंदिर)
“गंगा की पवित्रता और योग की साधना मिलकर जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करती है।”
🔸 राजेन्द्र दूबे(वरिष्ठ पत्रकार | सचिव, वाराणसी विकास समिति)
“यह केवल हस्ताक्षर नहीं, यह आत्म-प्रतिज्ञा है – अपने, समाज और राष्ट्र के स्वास्थ्य का संकल्प।”
🔸 डॉ. राज कुमार सिंह (संपादक, जनवार्ता)
“हमारा लक्ष्य है कि योग दिवस एक परंपरा नहीं, बल्कि स्थायी जीवनशैली बने। यह अभियान उसी सोच की नींव है।”
👥 सहभागिता और सम्मान:
कार्यक्रम में छात्र, युवतियां, सामाजिक कार्यकर्ता, साधु-संत और आमजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
“जनवार्ता” की ओर से सुमित द्वारा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
विशेष सहभागिता:वरिष्ठ पत्रकार अनूप दूबे, ए.के. राय, एस.के. मेहरा, सर्वेश शुक्ला, मयंक दूबे, संकटा प्रसाद, डॉ. गौरव प्रकाश, कुलदीप गौड़ और राम पटेल।–
📷 विशेष दृश्य:
घाट पर योग शपथ लेते नागरिकों की कतार
युवाओं द्वारा प्रेरक स्लोगन लिखे पोस्टर
गंगा तट पर सामाजिक समर्पण और साधना का अद्वितीय संगम
यह आयोजन न केवल योग को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में सशक्त कदम रहा, बल्कि यह साबित करता है कि वाराणसी योग को केवल अवसर नहीं, एक आंदोलन के रूप में अपना रही है।
योग करें, निरोग रहें — यह अब संकल्प नहीं, संस्कार बने।