महिला को बनाया बंधक,बच्चे को किया डिस्चार्ज;कई दिन तक पिता ने बच्चे को पिलाया बकरी का दूध

महिला को बनाया बंधक,बच्चे को किया डिस्चार्ज;कई दिन तक पिता ने बच्चे को पिलाया बकरी का दूध
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नई दिल्ली। रांची से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया। जहां एक निजी अस्पताल ने बिल न चुका पाने के एवज में नवजात को जन्म देने वाली मां को बंधक बनाकर उसे कलेजे के टुकड़े से दूर कर दिया। मानवीय पहलू हो या कानूनी दोनों स्थितियों में दुधमुंहे बच्चे को मां से जुदा करना गलत है। मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि नवजात के लिए मां का दूध अमृत होता है, ऐसे में बच्चे को मां का दूध पीने देने से रोकना उसके बुनियादी हक को छीनने जैसा रहा। यहां भयावहता इसलिए बढ़ गई क्योंकि बच्चे को पिता ने करीब 21 दिन तक बकरी के दूध पर पाला। मीडिया के जरिए मामले का खुलासा हुआ तो मानो चिरनिद्रा में सोए लोग एकदम से जागे। जेनेटिक अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए ज्ञापन सौंपा गया। बात दूर तक गई तो झारखंड हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए अस्पताल को तलब किया।

हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान-हेल्थ सेक्रेट्री तलब
झारखंड हाई कोर्ट ने बिल जमा नहीं करने पर जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन के इस शर्मनाक रवैये यानी मासूम को मां से अलग करने और महिला को बंधक बनाने के मामले पर बीते शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लिया। जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की बेंच ने राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश जारी किया है। माननीय कोर्ट ने इस केस में सिविल सर्जन को भी अस्पताल के निबंधन की जांच का निर्देश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।

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संवेदनहीनता की हद या मर गई मानवता?
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को पता चला कि जेनेटिक अस्पताल ने खूंटी के रनिया की सुनीता कुमारी के साथ अमानवीय व्यवहार किया है। सुनीता को 28 मई को प्रसव पीड़ा होने के बाद रिम्स रेफर किया गया था। लेकिन ऑटो चालक महिला के पति को झांसा देकर इस फैमिली को जेनेटिक अस्पताल ले गया।

सूख गया मां का दूध
अस्पताल ने सुनीता के पति से सीजेरियन सर्जरी के 4 लाख रुपए मांगे। उसने जमीन बेचकर 2 लाख तो दे दिए लेकिन बाकी देने में असमर्थता जताई तो अस्पतालवालों ने बच्चा तो घर भेज दिया लेकिन उसकी मां को बंधक बना लिया। खबर मिलते ही पुलिस ने 27 जून को उसे अस्पताल से रिहा कराया।

सूख गया मां का दूध
करीब तीन हफ्ते बाद जब सुनीता ने घर आकर बेटे को दूध पिलाने के लिए सीने से लगाया तो इतने दिन बच्चे से अलग रहने की वजह से उसका आंचल का दूध सूख चुका था। अब सुनीता की दुखभरी कहानी सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। इस घटनाक्रम के बाद अब निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने की बात कही जा रही है।


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