जहां पहुंचेगा आदित्य-L1,वो जगह है धरती से 15 लाख KM दूर,110 दिन का सफर; जानिए ‘मिशन सूर्य’…
नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO अब अपने नए मिशन आदित्य L-1 की तैयारी में जुट गया है। गुरुवार को इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस मिशन के जुड़ी जानकारी दी थी। आदित्य L-1 इसरो का अगला मिशन है। इस मिशन के जरिए सूर्य का अध्ययन किया जाएगा। यह भारत का पहला सूर्य मिशन होगा। यह सौरमंडल में हो रही गतिविधियों और अंतरिक्ष में मौसम को समझने में मदद करेगा।
मिशन मून के बाद आदित्य L-1 की तैयारी
सूरज के रहस्यों का अध्ययन करेगा आदित्य L-1
2 सितंबर को हो सकती आदित्य L-1 की लॉन्चिंग
मिशन मून के बाद आदित्य L-1 की तैयारी
चांद का अध्ययन करने के साथ-साथ इसरो सूर्य की अध्ययन करने की तैयारी कर रहा है। आदित्य L-1 मिशन की घोषणा इसरो द्वारा पहले ही की जा चुकी है। ये स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए जाने के पूरे चार महीने बाद सूरज-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पाइंट-1 तक पहुंचेगा, जो कि धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। यानी की इसे पहुंचने में करीब 110 दिनों का समय लगेगा।
2 सितंबर को हो सकती आदित्य L-1 की लॉन्चिंग
सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला,आदित्य-एल1,प्रक्षेपण के लिए तैयार हो रही है, इसका प्रक्षेपण सितंबर के पहले सप्ताह में किया जाएगा। खबरें है कि इसकी लॉन्चिंग 2 सितंबर को हो सकती है। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस मिशन को लेकर बताया कि सूर्य के लिए आदित्य मिशन सितंबर में लॉन्च के लिए तैयार हो रहा है।
सूरज के रहस्यों का अध्ययन करेगा आदित्य L-1
इसरो ने इस मिशन को लेकर जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि सूरज पर होने वाले अलग-अलग रिएक्शन के चलते अचानक ज्यादा एनर्जी रिलीज होती है। जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। जिसका तमाम सैटेलाइट्स पर भी असर पड़ता है। इस मिशन के जरिए इस पर भी अध्ययन किया जाएगा।
ADITYA-L1 ही क्यों रखा नाम
इस मिशन का नाम ADITYA-L1 रखने के पीछे भी वजह है। आदित्य सूरज का पर्यायवाची है और L1 एक ऐसी कक्षा है, जो सूरज और पृथ्वी के बीच की ऐसी दूरी होती है,जहां दोनों का गुरुत्वाकर्षण शून्य रहता है। यानी न तो सूरज की ग्रैवेटी उसे अपनी तरफ खींच पाएगा और ना ही पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण इसे खींच पाएगा। L1 को लैंग्रेजियन प्वाइंट कहा जाता है यहां सूर्य और पृथ्वी दोनों ग्रहों की ग्रैविटी खत्म हो जाती है।