6 महीने का राशन लेकर चले हैं किसान,सुई-अनाज-डीजल सब लोड;चुनाव के बाद तक का है इंतजाम
नई दिल्ली। किसान आंदोलन 2।0 ने पुलिस-प्रशासन से लेकर सरकार तक को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पिछली बार की तरह इस बार भी किसान पूरे इंतजाम के साथ अपने-अपने घरों से निकले हैं। किसानों के तेवर देखकर लग नहीं रहा कि वे पीछे हटने के मूड में हैं। शंभू बॉर्डर पर किसानों का आक्रामक रूप भी देखने को मिला है। किसानों ने बताया कि वे छह महीने की तैयारी के साथ घर से निकले हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे वापसी के बारे में सोचेंगे भी नहीं।
किसानों का चुनाव तक का इंतजाम
गौर करने वाली बात यह है कि मई-जून में लोकसभा चुनाव होना लगभग तय हैं। फरवरी का तकरीबन आधा महीना भी बीत चुका है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में महज दो-तीन महीने ही बचे हैं। अगर किसान आंदोलन लंबा चला तो किसान छह महीने तक आसानी से सड़कों पर डेरा डालकर रहेंगे। किसानों की तैयारियों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि वे लोकसभा चुनाव के बाद तक के इंतजाम के साथ अपने घरों से निकले हैं।
6 महीने तक का राशन लेकर चले हैं किसान
दिल्ली कूच कर रहे हजारों किसानों का कहना है कि वे लंबी यात्रा पर निकले हैं। उनके पास महीनों तक चलने वाला पर्याप्त राशन और डीजल है। दिल्ली में उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया तो वे सड़क को एक बार फिर अपना घर बना लेंगे। किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित कई मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह उनके 2020 के विरोध प्रदर्शन का अगला कदम है। पिछली बार किसानों ने 13 महीने तक अलग-अलग बॉर्डर पर डेरा डाला था।
ट्रॉलियों में सुई से डीजल सब लोड
किसानों ने कहा कि वे अपना प्रदर्शन तब तक जारी रखेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। पंजाब के गुरदासपुर के एक किसान ने बताया कि किसानों के पास सुई से लेकर हथौड़े तक ट्रॉलियों में लोड हैं। जरूरत की हर चीज हमारे पास है। जिसमें पत्थर तोड़ने के उपकरण भी शामिल हैं। हम अपने साथ छह महीने का राशन लेकर अपने गांव से निकले हैं। हमारे पास पर्याप्त डीजल है। किसानों का आरोप है कि आंदोलन को विफल करने के लिए उनके ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को डीजल उपलब्ध नहीं कराने दिया जा रहा है।
सरकार से नहीं बनी बात
बता दें कि चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार देर रात की बातचीत विफल होने के बाद किसानों ने आज मंगलवार सुबह फतेहगढ़ साहिब से अपना मार्च शुरू किया। केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की बैठक में बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने पर सहमति बनी। तीन प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पाई, जिनमें सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाना, किसान ऋण माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना शामिल है।
दिल्ली की किलेबंदी
किसानों की दिल्ली में एंट्री को रोकने के लिए दिल्ली की किलेबंदी कर दी गई है। दिल्ली से सटे गाजीपुर, टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों को शहर में घुसने से रोकने के लिए सड़कों पर कंक्रीट के ब्लॉक और कीलें लगाई गई हैं। पुलिस ने पूरे शहर में सार्वजनिक समारोहों पर एक महीने का प्रतिबंध भी लगाया है।