LAC पर नए ‘खेल’ की तैयारी में चीन,रिपोर्ट से खतरनाक मंसूबों का हुआ खुलासा
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ टकराव को चार साल हो गए हैं। आमने-सामने के सैन्य टकराव के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा LAC पर अब भी तनाव है। तनाव के बीच जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक चीन बॉर्डर पर अपनी स्थिति और अधिक मजबूत करने में जुटा हुआ है। चीन सीमा पर दोहरे उपयोग के लिए शियाओकांग गांव बसा रहा है और बुनियादी ढांचे को अधिक मजबूत कर रहा है। सैन्य ठिकानों को मजबूती देने के लिए भारत की ओर स्थित अपने हवाई ठिकानों पर अतिरिक्त विमानों की तैनाती की गई है। रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि नए सैटेलाइट इमेज, खुफिया रिपोर्ट और अन्य इनपुट लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैले 3,488 किलोमीटर लंबे LAC के सभी तीन सेक्टरों में चल रही चीनी गतिविधि को दिखा रहे हैं।
चीन ने हाल ही में सैमजंगलिंग के उत्तर से गलवान घाटी तक एक सड़क का निर्माण पूरा किया है, जिससे पीएलए को इस इलाके में तेजी से मूवमेंट करने में मदद मिलेगी। बफर जोन के पास भी वह अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटा है। 15 जून, 2020 को हुई हिंसक झड़प के तीन सप्ताह बाद गलवान घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट-14 के आसपास नो-पेट्रोल बफर जोन बनाया गया था। सूत्रों ने बताया कि पीएलए पैंगोंग त्सो के दोनों किनारों पर अन्य बफर जोन के पीछे सैन्य और परिवहन ढांचे को मजबूत कर रही है। जिसमें कैलाश रेंज और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स शामिल हैं, जो सभी बड़े पैमाने पर उन क्षेत्रों में है जिन्हें भारत अपना क्षेत्र मानता है। पीएलए की ओर से सड़कों, पुलों, सुरंगों और हेलीपैड के माध्यम से अपने अग्रिम ठिकानों तक अंतिम मील की कनेक्टिविटी पर भी फोकस किया जा रहा है।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि ‘पीएलए की यह बढ़ी हुई गतिविधि विशेष रूप से पूर्वी क्षेत्र में, अरुणाचल प्रदेश के तवांग और उत्तरी सिक्किम के नाकू ला में देखी जा रही है। चीन ने हॉटन, काश्गर, गरगुंसा, शिगात्से, बांगडा, निंगची और होपिंग जैसे अपने हवाई क्षेत्रों को अपग्रेड किया है। नए इनपुट से पता चलता है कि झिंजियांग के हॉटन में दो नए JH-7A लड़ाकू-बमवर्षक, तीन Y-20 हेवी-लिफ्ट विमान के अलावा लगभग 50 J-11, J-7 लड़ाकू विमानों, पांच Y-8 और Y-7 परिवहन विमानों को पहले से ही वहां मौजूद रखा गया है।
सूत्रों का कहना है एलएसी के विवादित हिस्सों, विशेष रूप से पूर्वी क्षेत्र में गांवों को ‘आबाद’ किया जा रहा है, ताकि पीएलए की स्थिति को मजबूत किया जा सके और साथ ही क्षेत्र पर दावा किया जा सके। पिछले कुछ वर्षों में भारत और भूटान के साथ तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र की सीमाओं को मजबूत करने के लिए चीन 628 ऐसे सीमा रक्षा गांवों का विस्तार कर रहा है। एक सूत्र ने कहा यह सब स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि PLA, एलएसी के साथ आगे के स्थानों पर सैनिकों को स्थायी रूप से तैनात करना जारी रखेगा।