जोधपुर में बने 3 नए राजस्व गांव पर HC ने लगाई रोक,भजनलाल सरकार से जवाब तलब

जोधपुर में बने 3 नए राजस्व गांव पर HC ने लगाई रोक,भजनलाल सरकार से जवाब तलब
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जोधपुर। जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील में नए राजस्व गांव बनाने के सरकारी आदेश पर राजस्थान हाई कोर्ट ने अस्थायी रोक लगा दी है। ख़िरजा फतेहसिंह पंचायत के अंतर्गत आने वाले खिरजा भोजा गांव के डूंगर सिंह और पांच अन्य निवासियों ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि यह आदेश राजनीतिक दबाव में और एक विशेष व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए जारी किया गया। बता दें, शेरगढ़ विधानसभा से बीजेपी विधायक बाबूसिंह राठौड़ ने नए राजस्व गांव का प्रस्ताव सरकार को भेजा था।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि 10 जनवरी 2025 को सरकार ने शेरगढ़ तहसील के उनके गांव से तीन नए गांव बनाने का आदेश दिया। ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं। लेकिन, उनकी आपत्तियों को अनदेखा कर आदेश जारी कर दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि नए गांवों के नाम उस विशेष व्यक्ति के पूर्वजों के नाम पर रखे गए हैं, जो इस फैसले को पक्षपातपूर्ण साबित करता है।

ग्रामीणों ने वकील यशपाल ख़िलेरी और विनीता चांगल के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया कि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 16 के तहत नए राजस्व गांव बनाने के लिए विशेष मापदंड और प्रक्रियाएं तय हैं। इनमें आबादी, चारागाह, सरकारी भूमि और मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता जैसी शर्तें शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन शर्तों का पालन किए बिना ही आदेश जारी कर दिया गया, जो गैरकानूनी है।

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और कलेक्टर..
हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए इस आदेश पर रोक लगा दी है। अदालत ने राज्य सरकार और जिला कलेक्टर से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को निर्धारित की है। जज ने स्पष्ट किया कि नए गांव बनाने की प्रक्रिया में यदि नियमों की अनदेखी हुई है, तो इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

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ग्रामीणों की चिंता
गांव के लोगों का कहना है कि उनके मौजूदा गांव में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं और नए गांव बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। ग्रामीणों को आशंका है कि इस फैसले से सिर्फ विवाद और असुविधा बढ़ेगी। वे चाहते हैं कि सरकार उनके हितों का ध्यान रखते हुए नियमों का सख्ती से पालन करें।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार इस मामले में क्या जवाब देती है और हाई कोर्ट का अंतिम निर्णय क्या होगा। यह मामला न केवल ख़िरजा भोजा गाँव बल्कि पूरे राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।


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