रंगभरी एकादशी पर निकाली जाएगी गौरा-गौना की पालकी यात्रा, शामिल होते है देश-विदेश के भक्त-महंत परिवार
काशीवासी यात्रा में होंगे शामिल, करेंगे होली की शुरुआत
वाराणसी (जनवार्ता)। फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की अमला एकादशी 10 मार्च (रंगभरी एकादशी) पर माता गौरा के गौना उत्सव का क्रम 7 मार्च शुक्रवार से विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत टेढीनिम स्थित आवास पर शुभारंभ होगा।
जिसमें माता गौरा के विग्रह के समक्ष हल्दी तेल का लोकाचार काशीवासियों द्वारा पूर्ण किया जाएगा और संध्याबेला में माता गौरा को हल्दी लगाई जाएगी। जबकि बसंत पंचमी से तिलकोत्सव की परंपरा से लोकउत्सव रंगभरी एकादशी पर गौरा के गौना की पालकी यात्रा के बाद पूर्ण होता है।
परंपरानुसार माता गौरा के गौना के लिए उत्सव का माहौल है। रंगभरी पर काशीवासी पालकी पर महादेव-गौरा संग प्रथमेश को विराजमान करा कर गौरा सदनिका से मंदिर तक लेकर जायेगे और काशी मे होली की शुरूआत होगी।
वही 7 मार्च को हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में आवास पर जमा होगी और मंगल गीतों का गान के बीच गौरा को हल्दी लगाई जाएगी। यह रस्म विश्वनाथ मंदिर के पूर्व मंहत डा. कुलपति तिवारी के गोलोकवास होने के बाद पहली बार उनकी पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में वंश परंपरानुसार उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी निभायेंगे।
शिवाजंली के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया की महंत डॉ कुलपति तिवारी के गोलोकवास होने के कारण शिवांजलि के तहत होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम संक्षिप्त रहेगें एवं गौरा के गौना की तैयारिया शुरू हो गई है। महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के मार्गदर्शन में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौना का कर्मकांड पूर्ण परंपरानुसार पूर्ण किया जाएगा।
इस दौरान पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया की काशी के रंगोत्सव शुरूआत माता गौरा के गौना से ही होती है। काशीवासी प्रथम गुलाल बाबा को अर्पित कर होली खेलने की अनुमती मांगते है।
जिसमें 7 मार्च (शुक्रवार) को माता गौरा की हल्दी,8 मार्च (शनिवार) लोकाचार मंगल सगुन,9 मार्च (रविवार ) गौना के लिए बाबा का गौरासदनिका आगमन एवं 10 मार्च (सोमवार) को गौरा -गौना की पालकी यात्रा निकाली जाएगी।