पशु व्यापारी से लूटपाट और मारपीट, 11 पुलिसकर्मी निलंबित
कानपुर (जनवार्ता)। हाईवे पर अलीगढ़ के एक पशु व्यापारी से कथित लूटपाट और मारपीट के मामले ने कानपुर पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना सामने आने के बाद पुलिस विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पीआरवी यूनिट में तैनात 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। सोशल मीडिया पर पीड़ित द्वारा वायरल किए गए वीडियो में पुलिसकर्मियों पर जबरन वसूली और मारपीट के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद आला अधिकारियों ने तत्काल जांच के आदेश दिए।
घटना शनिवार की है, जब अलीगढ़ निवासी मोहम्मद उजैर अपने ड्राइवर लक्ष्मण उर्फ लकी के साथ सरसौल से मवेशी खरीद कर रामादेवी-भौंती हाईवे से गुजर रहे थे। इसी दौरान बर्रा कट फ्लाईओवर के पास चकेरी थाने की पीआरवी-7058 ने उनकी पिकअप को रोक लिया। थोड़ी देर में हनुमंत विहार थाने की दो और पीआरवी—7055 और 6504—भी मौके पर पहुंच गईं। उजैर ने आरोप लगाया कि तीनों पीआरवी में मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रत्येक से 500-500 रुपये की मांग की और इनकार करने पर उन्हें और उनके ड्राइवर को गाड़ी से बाहर खींचकर बेरहमी से पीटा गया। इस दौरान ड्राइवर की आंख पर डंडा मारा गया और वाहन में रखे 10 हजार रुपये भी लूट लिए गए।
घटना के बाद उजैर ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला, जिसमें उसने पूरी घटना का विवरण दिया। वीडियो वायरल होते ही पुलिस आयुक्त ने गंभीरता से संज्ञान लिया और डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी को जांच के निर्देश दिए। इसके बाद जांच की जिम्मेदारी एडीसीपी साउथ योगेश कुमार और डॉयल-112 प्रभारी को सौंपी गई। जांच के दौरान तीनों पीआरवी की लोकेशन घटनास्थल पर पाई गई और यह भी सामने आया कि उन्होंने बिना कारण अपने-अपने थानों की सीमा से बाहर गश्त की थी।
प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों में पीआरवी-7058 के चालक कांस्टेबल अतुल सचान, हेड कांस्टेबल ऋषिराजन, कांस्टेबल हरिओम सिंह और महिला कांस्टेबल रिंकी रानी शामिल हैं। वहीं, पीआरवी-7055 में हेड कांस्टेबल अजय कुमार यादव, आनंद कुमार और कांस्टेबल उमाशंकर दीक्षित, तथा पीआरवी-6504 में हेड कांस्टेबल प्रदीप कुमार, अमीर हसन, कांस्टेबल सोनू यादव और महिला कांस्टेबल आराधना तैनात थे। सभी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
व्यापारी उजैर ने बताया कि वह इस मार्ग से नियमित रूप से मवेशियों की खरीद-फरोख्त करता है और पहले भी पीआरवी कर्मी 200-200 रुपये लिया करते थे। लेकिन इस बार उन्होंने ज्यादा पैसे मांगे और विरोध करने पर उसे और ड्राइवर को पीटा गया। उजैर का यह भी कहना है कि यह एक संगठित वसूली गिरोह जैसा है, जिसमें कई पुलिसकर्मी शामिल रहते हैं।
घटना के बाद बर्रा पुलिस मौके पर पहुंची और व्यापारी का मेडिकल परीक्षण कराया गया, लेकिन इसके साथ ही व्यापारी की पिकअप में मौजूद 14 मवेशियों के आधार पर चालक के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया। इसे व्यापारी पर दबाव बनाने की कोशिश माना जा रहा है, जिससे पूरे विभाग की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।
एडीसीपी साउथ योगेश कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया सभी पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं और उन्हें निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच अभी जारी है और यदि रुपये लूटने की बात की पुष्टि होती है, तो आगे आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।