पुरातन छात्र समागम में भारतेंदु हरिश्चंद्र को किया गया यादका भव्य आयोजन
वाराणसी (जनवार्ता) । हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मैदागिन में मंगलवार को भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र की जयंती के उपलक्ष्य में भव्य समारोह व पुरातन छात्र समागम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिंदी साहित्य के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चंद्र के योगदान को याद किया गया और उनकी विरासत को संजोने का संकल्प लिया गया।
मुख्य अतिथि, उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री डॉ. दया शंकर मिश्र ‘दयालु’ ने अपने ऑनलाइन उद्बोधन में कहा कि भारतेंदु केवल हिंदी के उन्नायक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी शिक्षाविद भी थे। उन्होंने हरिश्चंद्र शिक्षण संस्था की स्थापना कर यह सिद्ध किया कि शिक्षा ही विकसित समाज का आधार है। उन्होंने भारतेंदु के 32 वर्ष के अल्प जीवनकाल में दिए गए अप्रतिम योगदान को प्रेरणादायी बताया।
मुख्य वक्ता, कवि व रंग निर्देशक व्योमेश शुक्ल ने भारतेंदु को हिंदी भाषी समाज का “आदि पूर्वज” बताते हुए उनकी पत्रिकाओं कविवचन सुधा, हरिश्चंद्र मैगज़ीन और बाला बोधिनी को हिंदी साहित्य व पत्रकारिता का मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने विद्यार्थियों और पुरातन छात्रों से भारतेंदु की विरासत को संभालने का आह्वान किया।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रजनीश कुंवर ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतेंदु शिक्षा के उदारीकरण के पक्षधर थे, जिसकी झलक राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिखती है। उन्होंने भारतेंदु के भाषाई समर्पण और समाज सेवा को प्रेरणा का स्रोत बताया।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती मालिनी चौधरी भारतेंदु परिवार की पुत्रवधू, ने अपने संबोधन में भारतेंदु को समाज सुधारक और समावेशी विचारक के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि भारतेंदु ने अपने लेखन में देश की गरीबी, पराधीनता और ब्रिटिश शोषण को बेबाकी से उजागर किया और हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने का सपना देखा।
इस अवसर पर प्रो. ऋचा सिंह की पुस्तक ‘प्रेमचंद के प्रतिरोधी स्वर’ का विमोचन भी हुआ। साथ ही, पुरातन छात्र समागम में 30 से अधिक पूर्व छात्रों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. अमित जायसवाल, प्रो. प्रभाकर सिंह, प्रो. संजय श्रीवास्तव, प्रो. कनकलता विश्वकर्मा, राजेश केशरी, रवि जायसवाल, प्रमोद राम त्रिपाठी, डॉ. गीता रानी, डॉ. प्रतिमा सिंह, मुस्कान शर्मा, शिवम विश्वकर्मा, प्रांशु गुप्ता, संगम आदि शामिल रहे। पूर्व छात्रों ने कॉलेज से जुड़ी यादें साझा कीं और संस्थान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. ऋचा सिंह ने किया। आयोजन में महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। यह समारोह हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय के गौरवशाली इतिहास और साहित्यिक विरासत को जीवंत करने वाला रहा।