राम जी की बाल लीला | बाल श्रीराम की दिव्य और प्यारी लीलाएँ
“राम जी की बाल लीला” भगवान श्रीराम के बाल्यकाल की कहानियों और उनके अद्भुत कर्मों का वर्णन करती है। बाल रूप में राम जी बहुत ही चतुर, दयालु और धर्मप्रिय थे। उनकी बाल लीलाएँ जैसे समुद्र के राक्षस का वध, वृक्षों और जानवरों के प्रति प्रेम और शिक्षाप्रद खेल भक्तों को शिक्षा, आनंद और भक्ति का अनुभव कराती हैं। इन लीलाओं को सुनने और गाने से बच्चों और बड़ों दोनों में भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।

पिला नीला और हठीला,
राम जी की बाल लीला,
कौशल्या के ऐसे श्री राम,
देदो ध्यान,
छोड़ के सारे अपने काम….
पाब में पहने पैजनियां,
ठुमक ठुमक चले राम,
मुझे बन्दर ही चाहिए,
ऐसी बालहठ किये राम,
बाल बजरंग दसरथ लाये,
उनके साथ खेल रहे राम….
प्रेम मगन कौसल्या को,
बाल लीला दिखाए राम,
सारा ब्राभण्ड दिखाये,
अपने रोम रोम में राम,
कभी पालने में या बाहर,
कई रूप में दिखते है राम……..
बाल लीला का श्रवण और कथा विधि
- प्रातः या संध्या समय परिवार सहित राम कथा का आयोजन करें।
- श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।
- तुलसी-दल और पुष्प अर्पित करें।
- माता-पिता या कथा वाचक बाल लीला की कहानियाँ प्रेम और भक्ति भाव के साथ सुनाएँ।
- बच्चों को कहानी सुनाने के बाद राम नाम का जप कराएँ।
- अंत में भगवान श्रीराम से सभी के जीवन में धर्म, ज्ञान और भक्ति बनाए रखने की प्रार्थना करें।
लाभ
- बच्चों में भक्ति, नैतिकता और धर्म का भाव विकसित होता है।
- मन में श्रद्धा, प्रेम और सकारात्मकता बढ़ती है।
- घर में सुख, शांति और सांस्कृतिक शिक्षा का वातावरण बनता है।
- जीवन में भगवान श्रीराम के आदर्शों का पालन करना आसान होता है।
- बाल लीलाओं से सीखकर जीवन में साहस, धैर्य और न्याय की भावना आती है।
निष्कर्ष
“राम जी की बाल लीला” केवल कहानियाँ नहीं, बल्कि शिक्षा, भक्ति और आनंद का स्रोत हैं। इनके माध्यम से भक्तों को भगवान श्रीराम के गुण और आदर्शों की समझ मिलती है। इसे सुनने या सुनाने से हृदय में प्रेम, श्रद्धा और भक्ति का भाव जागृत होता है, और जीवन में सत्य, धर्म और सेवा का मार्ग प्रशस्त होता है।

