बनारस में बिजली निजीकरण के खिलाफ 360वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन
संघर्ष समिति की दो टूक चेतावनी टेंडर निकला तो सामूहिक जेल भरो आंदोलन, नियामक आयोग पर मौन प्रदर्शन

वाराणसी (जनवार्ता)। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहा आंदोलन शनिवार को 360वें दिन भी जारी रहा। बनारस सहित प्रदेश के तमाम जनपदों में बिजली कर्मचारियों ने विभिन्न कार्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया।

संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि विद्युत नियामक आयोग कर्मचारियों को पक्ष रखने का मौका दिए बिना निजीकरण के RFP दस्तावेज पर एकतरफा मुहर लगाता है, तो आयोग मुख्यालय पर शांतिपूर्ण मौन प्रदर्शन किया जाएगा। टेंडर प्रकाशित होने की स्थिति में पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारी सामूहिक जेल भरो सत्याग्रह शुरू करने को बाध्य होंगे।
समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पुनः हस्तक्षेप की अपील की है। नेताओं ने आरोप लगाया कि निजीकरण के दस्तावेज को अंतिम रूप देने के लिए नियामक आयोग में गुपचुप बैठकें चल रही हैं, जिनमें विवादास्पद ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं।
संघर्ष समिति ने मांग की है कि निजीकरण का टेंडर निकालने से पहले RFP दस्तावेज को सार्वजनिक किया जाए और किसान, गरीब उपभोक्ता तथा बिजली कर्मचारी जैसे सबसे बड़े हितधारकों की राय ली जाए।
नेताओं ने कहा कि निजीकरण से प्रदेश के 76,500 बिजली कर्मचारियों (जिनमें 50 हजार अल्प वेतनभोगी संविदा कर्मचारी और 26,500 नियमित कर्मचारी हैं) की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। पूर्वांचल व दक्षिणांचल के 42 सबसे गरीब जिलों में निजीकरण थोपना जनहित में नहीं है।
आंदोलनकारी नेताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक निजीकरण का फैसला रद्द नहीं होता और आंदोलन के नाम पर की गई सभी दमनात्मक कार्रवाइयां वापस नहीं ली जातीं, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
प्रदर्शन को मायाशंकर तिवारी, अंकुर पाण्डेय, राजेश सिंह, वीरेंद्र सिंह, पंकज कुमार, उदयभान दुबे, अरुण कुमार, रमेश कुमार, अनुराग यादव, प्रवीण कुमार, बृजेश कुमार, कृष्णमोहन कुमार आदि ने संबोधित किया।

