ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर सुनवाई आज
वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर मंगलवार की दोपहर अदालत में सुनवाई होगी। सिविल जज सीनियर डिवीजन कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र में उन्होंने सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के नियमित दर्शन-पूजन भोग-आरती की मांग की थी।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पूर्व में भी धरना प्रदर्शन कर वजूखाने में मिले शिवलिंग के नियमित पूजन अर्चन की मांग कर चुके हैं। हालांकि, जिला प्रशासन के अनुरोध पर उन्होंने धरना खत्म कर अदालत का रुख किया था। अब इसी मामले में मंगलवार को सुनवाई अदालत में होनी है।
एक दिन पूर्व ही सोमवार को अदालत ने वाद को सुनवाई के योग्य पाते हुए मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को दरकिनार कर मामले की सुनवाई जारी रखने पर फैसला हिंदू पक्ष को दिया है। अब ठीक दूसरे दिन वजूखाने में मिले शिवलिंग के दर्शन पूजन और अर्चन सहित भोग को लेकर वाद पर सुनवाई होने जा रही है।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बने हैं। प्रतापगढ़ जनपद के मूल निवासी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ का प्रमुख एक दिन पूर्व घोषित किए गए है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का जन्म प्रतापगढ़ के पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में 15 अगस्त 1969 को हुआ। इनका मूल नाम उमाशंकर है। इनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राइमरी पाठशाला में हुई।
उसके बाद वह परिवार की सहमति पर नौ साल की उम्र में गुजरात जाकर धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी रामचैतन्य के सानिध्य में गुरुकुल में संस्कृत शिक्षा ग्रहण करने लगे। इसके बाद श्रीविद्यामठ के प्रमुख के तौर पर काशी में निवास कर धार्मिक गतिविधियों में जुट गए।
ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट कमिश्नर के सर्वे के दौरान कथित रूप से मिले आदि विश्वेश्वर शिवलिंग के मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द केदारघाट स्थित श्रीविद्या मठ में अन्न जल त्याग कर बैठे थे। वे विश्वेश्वर शिवलिंग का पूजन व भोग- राग के लिए मठ से सुबह साढ़े आठ बजे निकले और पुलिस ने मामला न्यायालय में विचाराधीन होने का हवाला देकर उनको पूजन करने से रोक दिया था। इसके बाद उन्हें मठ में रोकने के लिए मुख्य द्वार पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द जैसे ही मठ से निकले वैसे ही भेलूपुर थाना प्रभारी ने अनुमति नहीं होने का हवाला देकर उनको रोक लिया था। पुनरानुमति पत्र भेजने और उसकी कॉपी दिखाने के बाद भी उनको पुलिस ने आगे नहीं जाने दिया।
इसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने अन्न-जल त्याग कर मठ में बैठने की घोषणा कर दी और शिष्यों संग धरने पर बैठ गए थे। बाद में धार्मिक संगठनों और प्रशासन के मनुहार के बाद भोजन ग्रहण किया था।