दिल्ली हाईकोर्ट ने विशेष शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर केंद्रीय विद्यालय से मांगा जवाब
नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों में मूक,बधिर,दृष्टिहीन और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समुचित शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षक नियुक्त करने की मांग पर उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) से मांगा जवाब है। न्यायालय ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि विशेष शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से मूक,बधिर,दृष्टिहीन और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समुचित शिक्षा नहीं मिल रहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने केवीएस को हलफनामा दाखिल करने को कहा है,जिसमें उसके द्वारा अपने स्कूलों के लिए नियुक्त किए गए विशेष लेखा परीक्षकों से संबंधित रिपोर्ट की जनाकारी देने को कहा है। साथ ही यह भी बताने के लिए कहा है कि ‘क्या ऐसे केंद्रीय विद्यालय हैं जहां विशेष शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है। पीठ ने गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है।
संगठन की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने पीठ को बताया कि 2009 में कोर्ट में दिए गए आश्वासन के बावजूद केवीएस ने अपने स्कूलों में विशेष शिक्षक की भर्ती नहीं की है। उन्होंने केवीएस को तत्काल विशेष शिक्षकों के पर्याप्त संख्या में नियमित पद सृजित करने, भर्ती नियम बनाने और प्रत्येक स्कूल के लिए कम से कम 2 विशेष शिक्षकों की भर्ती करने का निर्देश देने की मांग की है।
अग्रवाल ने याचिका में कहा है कि स्थायी आधार पर विशेष शिक्षकों की भर्ती के संबंध में निष्क्रियता हजारों दिव्यांग छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार के साथ-साथ बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 और अधिकारों का उल्लंघन है। अग्रवाल ने पीठ को बताया कि केवीएस ने अभी तक न तो विशेष शिक्षक के स्थायी पद सृजित किए हैं और न ही भर्ती नियम बनाए हैं और न ही अब तक कोई भर्ती की है।
याचिका में कहा गया है कि इस तथ्य के बावजूद कि केवीएस के पास विशेष जरूरत वाले 5701 छात्र हैं। याचिका में कहा गया है कि विशेष शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से न सिर्फ विकलांग छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए हतोत्साहित हो रहा है। मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।