सीएम योगी के गढ़ में बीजेपी के मुस्लिम कार्ड ने मचाई धूम,इस सीट पर रच दिया इतिहास
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में इस बार भाजपा ने मुस्लिम कार्ड खेला, जिसमे उन्हे कई सीटों पर सफलता मिली। इसकी बानगी योगी के गढ़ गोरखपुर में देखने को मिली,जहां भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ी हकीकुन निशा ने वार्ड नंबर पांच से जीत दर्ज की है। राजनीतिक जानकर बताते हैं कि भाजपा के टिकट पर किसी मुस्लिम महिला का गोरखपुर के किसी वार्ड से जीतना खुद में इतिहास है।
गोरखपुर के जानकार बताते हैं कि बाबा गंभीरनाथ एक सिद्ध संत थे। वह गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी रह चुके हैं। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ के गुरु थे ब्रह्मलीन बाबा गंभीरनाथ। गोरखपुर नगर निगम के वार्ड संख्या पांच का नाम उन्हीं के नाम से जाना जाता है। इस वार्ड से अबकी बार भाजपा ने हकीकुन निशा पत्नी बरकत अली को पार्षद पद का उम्मीदवार बनाया था। नतीजे आये तो वह जीत गईं। भाजपा के टिकट पर किसी मुस्लिम महिला का गोरखपुर के किसी वार्ड से जीतना खुद में इतिहास है. पर यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ।
मुस्लिम महिला पार्षद ने रचा इतिहास
हकीकुननिशा के पति बरकत अली एवं उर्वरक नगर के कई बार पार्षद रहे मनोज सिंह का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। दोनों की पृष्ठभूमि राजनैतिक है। बरकत ने 2012 में निर्दल उम्मीदवार के रूप में पार्षदी का चुनाव लड़ा था,तब वह 52 मतों से हार गये थे। 2017 में सीट आरक्षित होने की वजह से उनको मौका नहीं मिला। इस बार जब यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हुई तो बरकत की पत्नी हकीकुननिशा को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया।
हकीकुननिशा को राजनीति का कोई अनुभव नहीं है पर वो योगी के काम से प्रभावित हैं। उनके पति बरकत अली लंबे समय से गोरखनाथ मंदिर और योगी आदित्यनाथ से जुड़े हैं और गोरखपुर में भाजपा किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं।
बीजेपी से हकीकुननिशां का कनेक्शन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में सभी नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों से मिले तो उनके साथ गोरखनाथ मंदिर में हकीकुननिशा भी पहुंची थीं, उन्होंने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। योगी ने जीत पर बधाई देते हुए उनके साथ शहर के विकास के लिए प्राथमिकताओं पर चर्चा की। हकीकुननिशा कहती हैं कि ‘महाराज जी के नेतृत्व में अब गोरखपुर के विकास के लिए और सबका साथ सबका विकास के लिए काम करेंगी।
गोरखपुर की सियासत में तीन दशकों से नजर रखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक गिरीश पांडेय कहते हैं कि करीब दो दशक पहले गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने मानबेला में आसपास के कुछ गावों की जमीन अधिग्रहित की थी। मुआवजे को लेकर किसान संतुष्ट नहीं थे। तब बरकत ने किसानों की मांगों की पुरजोर पैरवी की। तब योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद थे। वह भी किसानों की मांगों से सहमत थे, पर समस्या यह थी कि इस आवाज को मुखर करने के लिए पीड़ित तो साथ आएं। मानबेला के आसपास के प्रमुख गांव फत्तेपुर और नोतन आदि मुस्लिम बहुल हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए मनोज सिंह, बरकत अली बीच की कड़ी बने तो उनका गोरखनाथ मंदिर आने का सिलसिला भी शुरू हो गया।
2014 में केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल बनने लगा था। भाजपा ने तबके गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित किया था। देश भर उनकी रैलियां हो रहीं थीं। उसी क्रम में गोरखपुर में भी एक रैली होनी थी। योगी का प्रयास था कि फर्टिलाइजर कारखाने के मैदान में रैली हो जाए। वह बड़ा था, सुरक्षित और सड़क से वेल कनेक्टेड भी,पर बात बनी नहीं। फर्टिलाइजर के पूर्वी गेट से कुछ आगे मानबेला का बड़ा पर उबड़-खाबड़ वह मैदान था, जिसका जीडीए ने अधिग्रहण कर रखा था। आसपास के गांव अल्पसंख्यक बहुल थे। उनसे कैसे सहयोग लिया जाय,यह भी एक समस्या थी। ऊपर से उस साल फरवरी के 28 दिनों में 18 दिन बारिश के थे। ऐसे में बरकत अली और मनोज सिंह आसपास के प्रमुख स्वजातीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल लेकर योगी से मिले और भरोसा दिलाया कि वो हरसंभव सहयोग करेंगे।
बकौल बरकत किसान आंदोलन के दौरान ही हम लोग महाराज से मिले और कहा आप ही हमें इंसाफ दिला सकते हैं। उसके बाद आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया। 2015-16 में वो भाजपा का सक्रिय सदस्य बन गए। 2017 में भाजपा किसान मोर्चा के क्षेत्रीय कार्यसमिति का सदस्य बने और 2018 में जिले का उपाध्यक्ष। महाराज के ही कारण हम लोगों का मुआवजा 200 करोड़ रुपये बढ़ गया।