नौकरशाह जिसकी चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति विवादों में रही,इस्तीफे से भी आया संकट
नई दिल्ली। नवंबर 2022 में जब अरुण गोयल चुनाव आयुक्त बने, तब अखबारों के फ्रंट पेज पर उनके फोटो थे। अगले कई दिन तक गोयल सुर्खियों में छाए रहे। ऐसा होता भी क्यों न। चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति से एक दिन पहले ही उन्होंने आईएएस से वीआरएस जो ले लिया था। गोयल की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई मगर याचिका खारिज हो गई। करीब 16 महीने बाद, गोयल ने शनिवार (09 मार्च 2024) को अचानक इस्तीफा दे दिया। इस बार भी अखबारों ने उन्हें फ्रंट पेज पर छापा है। इस्तीफे के बाद से ही गोयल सुर्खियों में बने हुए हैं। बतौर नौकरशाह, अरुण गोयल की चुनाव आयोग में एंट्री भी विवादों में रही और विदाई भी। आम चुनाव सिर पर हैं और चुनाव आयोग में फिलहाल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अकेले बचे हैं। पिछले महीने अनूप चंद्र पांडेय के रिटायर होने के बाद EC में पहले ही एक जगह खाली थी। तकनीकी रूप से CEC अकेले ही चुनाव करा सकते हैं लेकिन गोयल का इस्तीफा आयोग की सर्वसम्मत कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।
चुनाव आयुक्त के रूप अरुण गोयल का अभी तीन साल का कार्यकाल बाकी था। उन्होंने ऐसे वक्त में इस्तीफा दिया जब आयोग लोकसभा चुनाव की तैयारियां परखने को देशभर में दौरे कर रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की घोषणा भी कुछ दिनों में होनी है।
कौन हैं अरुण गोयल?
61 साल के अरुण गोयल ने 37 साल भारतीय प्रशासनिक सेवा में गुजारे हैं। 1985 बैच के IAS रहे गोयल पंजाब कैडर के अधिकारी थे। उन्हें 60 साल उम्र पूरी होने पर 31 दिसंबर 2022 को रिटायर होना था। हालांकि,रिटायरमेंट से कोई डेढ़ महीना पहले, 18 नवंबर 2022 को गोयल ने सर्विस से वॉलंटरी रिटायरमेंट ले लिया। अगले ही दिन,19 नवंबर को राष्ट्रपति ने अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया। गोयल ने 21 नवंबर को EC का कामकाज संभाला। गोयल की नियुक्ति से पहले चुनाव आयुक्त का पद 15 मई, 2022 से खाली पड़ा था।
सुप्रीम कोर्ट तक गया मामला
गोयल की नियुक्ति ऐसे समय में हुई थी जब सुप्रीम कोर्ट CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया से जुड़ी याचिकाएं सुन रहा था। अप्रैल 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने गोयल की नियुक्ति के खिलाफ अदालत का रुख किया। ADR ने कहा कि गोयल की नियुक्ति मनमाने ढंग से की गई थी। अगस्त 2023 में SC ने ADR की याचिका खारिज कर दी क्योंकि संविधान पीठ मार्च में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर फैसला सुना चुकी थी।
अचानक इस्तीफे से बढ़ी परेशानी
चुनाव आयोग में तीन सदस्य होते हैं- एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त। आयोग के निर्णय लेने में सभी चुनाव आयुक्तों का समान अधिकार होता है। EC ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स में लिखा है कि सभी काम ‘जहां तक संभव हो, सर्वसम्मति से किए जाएंगे।’ यदि किसी मामले पर CEC और आयुक्तों की राय अलग-अलग है, तो फैसला बहुमत से किया जाएगा।
पांडेय के रिटायर होने के बाद केवल CEC राजीव कुमार और EC अरुण गोयल ही बचे थे। सरकार ने तीसरे आयुक्त की नियुक्ति में कोई तेजी नहीं दिखाई। अब गोयल के जाने के बाद लोकसभा चुनाव का पूरा भार CEC के कंधों पर आ गया है।