चैती छठ : डूबते हुए सूर्य को आज अर्घ्य, जाने चैती छठ का महत्व व समय
वाराणसी : चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चैती छठ का महापर्व मनाया जाता है। यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 5 अप्रैल को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ ये पर्व 8 अप्रैल को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। आज शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र और कार्तिक मास में पड़ते है। इन पर्व में कार्तिक मास यानी अक्टूबर-नवंबर में पड़ने वाले छठ का अधिक महत्व है। चार दिवसीय छठ के इस पर्व में महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर व्रत खोलती है। जानिए डूबते और उगते हुए सूर्य का समय।
इस कारण सूर्य देव की होती है पूजा
मान्यता है कि छठ माता भगवान सूर्य की बहन है। इसलिए छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य को प्रसन्न करना अति आवश्यक है। इसी कारण कृत्रिम तालाब, नदी आदि में कमर तक जल में रहकर महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
चैती छठ का महत्व
चैती छठ का काफी अधिक महत्व है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही संतान की उम्र लंबी होती है और निसंतान महिलाओं को संतान का सुख मिलता है। इसके साथ ही माना जाता है कि छठ का व्रत रखने से सैकड़ों गुना यज्ञों के बराबर फल मिलता है। व्रत के दौरान महिलाएं छठ के कड़े नियमों का भी पालन करती है।
अर्घ्य देने का समय
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 7 अप्रैल को शाम 5 बजकर 30 मिनट में सूर्यास्त होगा
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 8 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 40 मिनट में सूर्योदय