काशी में पहली बार महिला श्रद्धालु कर रही हैं 43 दिवसीय ‘सिद्धि तप’
• मां की स्मृति में किया संकल्प, जैन साध्वी सम्यगदर्शना के मार्गदर्शन में तपस्या जारी
वाराणसी (जनवार्ता)। जैन तीर्थंकरों की पावन धरती काशी में पहली बार एक महिला श्रद्धालु मिली नाहटा ने 43 दिनों के कठिन ‘सिद्धि तप’ का संकल्प लिया है। यह तपस्या भेलूपुर स्थित श्वेतांबर जैन मंदिर में चातुर्मास कर रही जैन साध्वियों के मार्गदर्शन में प्रारंभ हुई है।बड़ी पटिया की निवासी मिली नाहटा ने गुरु मां शशिप्रभा की पुण्य स्मृति में यह संकल्प लिया है। पिछले वर्ष 16 जून को सड़क दुर्घटना में गुरु मां का निधन हो गया था। उनकी पहली पुण्यतिथि पर मिली ने सिद्धि तप का आरंभ किया।उन्होंने बताया कि इस कठिन तप में उनके पति अमृत नाहटा का भी सहयोग महत्वपूर्ण है। तप की पूर्णाहुति 29 जुलाई को होगी।
क्या है सिद्धि तप?
जैन साध्वी सम्यगदर्शना के अनुसार, बनारस में पहली बार किसी महिला ने यह सिद्धि तप शुरू किया है। यह अत्यंत कठोर और संयमित तप है, जिसमें उपवास और भोजन का क्रम इस प्रकार होता है—1 दिन उपवास, फिर 1 दिन दो समय भोजन2 दिन उपवास, फिर भोजन3 दिन उपवास, फिर भोजन।इसी क्रम में 8 दिन उपवास तक बढ़ता है।इस तप में 36 दिन उपवास रहते हैं, और जल का सेवन केवल सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले सीमित मात्रा में किया जा सकता है।
श्रद्धा, संयम और गुरु भक्ति की यह अनुपम मिसाल काशी में आध्यात्मिक आस्था का एक नया अध्याय जोड़ रही है।