जुबान फिसलने नहीं देना है,पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेताओं को दी नसीहत

जुबान फिसलने नहीं देना है,पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेताओं को दी नसीहत
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नई दिल्ली। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बड़ी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि हम सभी लोगों को विकास के मुद्दे पर डटे रहा है और कोई कितना भी भटकाने की कोशिश कर ले, हमें उनके जाल में नहीं फंसना है। इसके साथ ही उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओं को वाणी पर भी नियंत्रण रखने की नसीहत दी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जुबान को इधर-उधर फिसलने नहीं देना है। कोर मुद्दों पर काम करना है। हमें कभी भी भटकना नहीं है। मैं आपको सतर्क करूंगा कि आपको विकास से जुड़े मुद्दों से भटकाने की लाख कोशिशें होंगी,लेकिन आपको देश के विकास के विषयों पर ही टिके रहना है।’

इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर ईको सिस्टम की बात की। उन्होंने कहा,’हम देखते हैं कि कुछ पार्टियों का ईको सिस्टम देश को मुख्य मुद्दों से भटकाने में लगा हुआ है। हमें कभी भी ऐसी पार्टियों के जाल में नहीं फंसना है। मैं जानता हूं कि आप अपने संबोधन में कहते हैं कि हमारी सरकार ने 2014 के बाद ये काम किए हैं तो वह बात अखबार में पहले पेज पर नहीं छपेगी। आप जब आयुष्मान कार्ड और जन औषधि केंद्रों की बात करें तो शायद मीडिया में न आएं। आप जब हर जल नल, डिजिटल क्रांति की बात करेंगे तो शायद मीडिया में जगह न मिले। आप पीएम संग्रहालय बनाएंगे तो शायद आंखें ही मूंद ली जाएं। फिर भी आपको विकास के मुद्दों पर डटे रहना है।’

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पीएम मोदी ने कहा कि आप कोई अच्छा काम करेंगे तो हेडलाइन नहीं बनेगी,लेकिन इसके बाद भी हमें अपने मुद्दों पर टिके रहना है। इस तरह हम काम करेंगे तो कभी न कभी उन्हें भी हमारे मुद्दों को स्वीकृति देनी ही होगी। इस दौरान उन्होंने भाजपा के कार्यकर्ताओं को एक टास्क भी दिया। उन्होंने कहा कि आज भाजपा के करोड़ों सदस्य हैं, लेकिन हमें ठहरना नहीं है। सदस्यता के अभियान को गति देनी है और आकांक्षी युवाओं को पार्टी में जोड़ना है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर जनता को जागरुक करने का भी आह्वान किया।

पिछली सरकारों ने देश को सिस्टम को किया था बीमार
पीएम मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों में हाल ऐसा था कि लोग मान चुके थे कि देश का सिस्टम बीमारी का शिकार हो गया है और हमें इसके साथ ही जीना होगा। लोगों की सोच मजबूरन ऐसी हो गई थी कि अब कोई सहारा नहीं है, अब तो इसी में गुजारा होना है। उनकी न तो सरकार से कोई उम्मीद थी और न ही सरकारें उनके प्रति कोई जवाबदेही समझ रही थीं। देश की जनता ने 2014 में एक नया इतिहास लिखने का फैसला किया था। उसके बाद भाजपा देश को इस सोच से बाहर निकाल कर लाई है। आज हिंदुस्तान का नागरिक काम होते देखना चाहता है, परिणाम चाहता है। राजनीतिक नफा-नुकसान से अलग मैं इसे जनता में आया सकारात्मक बदलाव मानता हूं।


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