26 हजार मेगावाट बिजली सप्लाई के बाद भी जनता परेशान,एक दिन में खराब हो रहे 500 ट्रांसफॉर्मर
लखनऊ। यूपी में बिजली संकट बढ़ता जा रहा है। सरकार का दावा है कि मौजूदा समय में 26 हजार मेगावाट बिजली सप्लाई हो रही है। उसके बाद भी गांव में पांच से सात घंटे के लिए बिजली कट रही है। तहसील में ये कटौती तीन से चार घंटे हो रही है। हालांकि कागजों पर कटौती को कम करके दिखाया जा रहा है। पावर कॉर्पोरेशन अपने आंकड़ों में बता रहा है कि ग्रामीण इलाकों में शेड्यूल के करीब 3.30 घंटे और तहसील मुख्यालय पर करीब 1.30 घंटे कम बिजली सप्लाई हो रही है।
शहर में ओवरलोड की वजह से कटौती बढ़ गई है। फ़ॉल्ट ज्यादा हो रहे हैं। लखनऊ में रविवार से लेकर सोमवार सुबह तक गोमती नगर विस्तार, इंदिरा नगर तकरोही, राजाजीपुरम, तकरोही शांति नगर, कुमारपुरम राज नगर पारा, केसरी खेडा यादव चौराहा, लक्ष्मी विहार कॉलोनी समेत कई इलाकों में पूरी रात लोग बिजली के लिए परेशान रहे। कहीं ट्रांसफॉर्मर खराब रहा तो कहीं पोल पर आग लगने से बिजली सप्लाई रूक गई। पिछले कुछ दिनों से लखनऊ में रोज 5 लाख से ज्यादा लोग कटौती से परेशान हो रहे हैं।
500 से ज्यादा ट्रांसफॉर्मर खराब हो रहे हैं
यूपी में हर रोज 500 से 550 से ट्रांसफॉर्मर खराब हो रह हैं। जानकारों का कहना है कि 2 साल से ट्रांसफॉर्मर पर लोड बढ़ाने और पोल के साथ तार को बिछाने के काम नहीं किए गए। लखनऊ में ही हर रोज 15 से ज्यादा छोटे-बड़े ट्रांसफॉर्मर खराब हो रहे हैं।
ओवरलोड की समस्या ने बढ़ाई परेशानी
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का आरोप है कि फीडर को 30 से 45 मिनट के लिए बंद कर दिया जा रहा है। उपकेंद्र पर 7 से 10 फीडर होते है। एक फीडर से 1000 से 2000 उपभोक्ताओं को बिजली मिलती है। ऐसे में एक बार इतने घर अंधेरे में चले जाते है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि इसकी जांच कर दी जाए तो विभाग के स्तर पर बड़ी लापरवाही सामने आएगी।
जून में कर रहे अप्रैल का काम
पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एम देवराज ने ओवरलोड ट्रांसफॉर्मर का लोड बढ़ाने का आदेश जारी किया है। उनकी जगह मानक के हिसाब से बढ़े लोड वाले ट्रांसफॉर्मर लगाने के लिए कहा है। हालांकि, यह काम विभाग में हर साल मार्च और अधिकतम अप्रैल के महीने में कर लेना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। अब विभाग को जून के महीने में ओवर लोड याद आया है।
कोयला भी कम मिल रहा है
अवधेश वर्मा ने बताया कि प्रतिदिन 17 रैक कोयल की जरूरत है लेकिन उसके बाद भी अधिकतम 13 रैक कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में पर्याप्त कोयला भी नहीं मिल पा रहा है। उसके अलावा आने वाले दिनों में अगर 1000 मेगावॉट लोड बढ़ेगा तो ट्रांसमिशन लाइन से सप्लाई भी मुश्किल हो जाएगी। यूपी में ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता करीब 27 हजार मेगावॉट है। लोड 26000 पर पहुंच गया है, ऐसे में अब ट्रांसमिशन लाइन से भी परेशानी बढ़ सकती है।