बांग्लादेश में मिला दर्द!दुनिया के इस मुस्लिम देश के बीचोबीच है ‘हिंदू देवताओं की नगरी’

बांग्लादेश में मिला दर्द!दुनिया के इस मुस्लिम देश के बीचोबीच है ‘हिंदू देवताओं की नगरी’
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नई दिल्ली। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में पिछले दिनों बड़ी संख्या में हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया। वहां से आए वीडियो से पूरा हिंदू समुदाय गुस्से से भर गया। क्या आप जानते हैं दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में एक ऐसी जगह हैं जहां हिंदुओं का बोलबाला है। वे ही बहुमत में हैं लोग इसे मुस्लिम देश में हिंदू स्टेट कहते हैं।

कहानी देश इंडोनेशिया की
बांग्लादेश में हिंदुओं के कत्लेआम का मंजर देखकर दुनिया हिल गई। कई देशों में प्रदर्शन हुए और हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की गई। आखिरकार अंतरिम सरकार को हाथ जोड़कर माफी भी मांगनी पड़ी। मोहम्मद यूनुस ढाकेश्वरी मंदिर भी गए। चलिए बांग्लादेश से भी थोड़ा आगे चलते हैं। क्या आप जानते हैं कि दुनिया में भारत, नेपाल और बांग्लादेश के बाद चौथा देश कौन सा है जहां बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं। शायद कुछ लोगों को पता नहीं होगा, वह देश है मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया। इस्लाम के आने से पहले इंडोनेशिया में हिंदू धर्म का प्रसार तेजी से हो रहा था। हालांकि आज यह दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन चुका है। इसमें भी एक ट्विस्ट है। मुस्लिम बहुल देश के बीचोबीच एक जगह ऐसी है जिसे ‘हिंदू देवताओं की नगरी’ के रूप में प्रसिद्धि मिली हुई।

जी हां, वो जगह है इंडोनेशिया का बाली द्वीप। यहां 87 प्रतिशत हिंदू रहते हैं। आप अगर बाली घूमने का प्लान बना रहे हैं और सर्च करेंगे तो पता चलेगा कि इसे Island of Gods कहते हैं। सैकड़ों साल पहले यहां हिंदू शासकों का राज था। पहली सदी से यहां हिंदुओं के होने के प्रमाण मिले हैं। उन्होंने बाली ही नहीं, जावा और सुमात्रा द्वीपों पर कई प्रसिद्ध मंदिर बनवाए थे। वहां द्वीप पर नदियों के नाम भी गोमती और गंगा पर रखे गए। 13वीं सदी में तेजी से इस्लाम को अपनाया जाने लगा। बौद्ध और हिंदू समुदाय जहां खुद को बचा सका, वहीं सिकुड़ कर रह गया। आगे चलकर जावा के हिंदू भी बाली पलायन कर गए। बाद में इंडोनेशिया डच कॉलोनी बन गया।

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इंडोनेशिया में हिंदू आबादी
आजादी मिलने के बाद इस्लाम के दबाव में एकेश्वरवादी धर्म को ही आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई। शुरू में हिंदुओं को ऐसे लोगों के तौर पर अलग रखा गया, जिनका कोई धर्म ही नहीं है। 1952 से इस्लाम कबूल करने का दबाव बढ़ने लगा। बाली में टेंशन बढ़ी तो स्थानीय प्रशासन ने स्वायत्त धार्मिक क्षेत्र घोषित कर दिया। बाली प्रशासन ने भारत और डच अधिकारियों से भी संपर्क किया जिससे उनके मानवाधिकारों की रक्षा हो सके। 1958 में इंडोनेशिया सरकार से हिंदू धर्म को मान्यता देने की मांग की गई। 1959 में नेहरू के दौर में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो ने हिंदुओं की मांग का सपोर्ट किया। आगे उथल-पुथल मची और 1962 में जाकर हिंदू धर्म को आधिकारिक तौर पर मान्यता मिल सकी।

घर-घर विष्णु,महेश की पूजा
इंडोनेशिया के बाकी द्वीपों पर भले ही हिंदुओं के साथ भेदभाव होता हो लेकिन बाली में इनका दबदबा है। ये खुलकर पूजा-पाठ, आरती और रामलीला मंचन करते हैं। मुस्लिमों की तरह बाली के हिंदू तीन बार- सुबह 6 बजे, दोपहर में और शाम 6 बजे अनिवार्य रूप से पूजा-पाठ करते हैं। इसे आप तीन टाइम की इबादत ही समझ सकते हैं। यहां हिंदू देवताओं के नाम थोड़े अलग हैं लेकिन देखने में हूबहू दिखाई देते हैं। मुख्य रूप से गणेश, भगवान शिव और विष्णु की पूजा की जाती है। महादेव को ‘महाराजा देव’ कहा जाता है। वहां भी त्रिमूर्ति के तौर पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा होती है।

दक्षिण भारत से सीधा नाता
दुनिया के नक्शे पर जब आप दक्षिण भारत से पूर्व की ओर देखेंगे तो विशाल हिंद महासागर में मलेशिया से आगे इंडोनेशिया दिखाई देगा। जूम करेंगे तो बाली द्वीप बीचोबीच दिखेगा। इस ‘हिंदू स्टेट’ की खासियत यह है कि जगह-जगह भगवान गणेश की मूर्ति मिल जाएगी। महाभारत के चर्चित प्रसंग मूर्तियों में उकेरे गए हैं। घरों के बाहर भगवान की मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी। अगर आप भारत से जा रहे हैं तो हो सकता है कि कुछ समय के लिए आपको भारत जैसा ही धार्मिक माहौल देखने को मिले। मंदिरों की बनावट में दक्षिण भारतीय शैली दिखाई देती है। माना जाता है कि दक्षिण भारत से हिंदू समुदाय के लोग सबसे पहले इंडोनेशिया गए थे। इंडोनेशिया का 1.68 प्रतिशत हिंदू समुदाय बाली में धर्म पताका बुलंद किए हुए है।

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गणेश मंदिर
इंडोनेशिया में यह गणेश मंदिर काफी दूर से दिखाई देता है। बाली द्वीप से होकर जाने वाले लोग रुककर यहां मंदिर में दर्शन के लिए जरूर आते हैं।


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