सरिता प्रकरण में पति को सात वर्ष की कैद,पत्नी को प्रताड़ित कर खुदकुशी के लिए किया था विवश
सोनभद्र । घोरावल कोतवाली क्षेत्र से जुड़े 14 वर्ष पुराने मामले में दोषी पति को सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। न्यायालय एएसजे/सीडब्लू न्यायाधीश की अदालत ने बुधवार को मामले की फाइनल सुनवाई की। अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलें,पत्रावली पर उपलब्ध कराए गए साक्ष्य और परीक्षित कराए गए गवाहों के बयान को दृष्टिगत रखते हुए, दोषसिद्ध पाया और पत्नी को प्रताड़ित कर खुदकुशी के लिए विवश करने के दोषी मुकुंदलाल को सात वर्ष के कठोर कैद और तीन हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं, प्रकरण के विचारण के दौरान जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।
संदिग्ध हाल में हुई थी मौत,मायके पक्ष ने लगाया था हत्या का आरोप
बताते चलें कि पांच नवंबर 2010 को सरिता पत्नी मुकुंद लाल उर्फ बबुंदर निवासी बेलखुरी थाना घोरावल की संदिग्ध हाल में मौत हो गई थी। मायके पक्ष की तरफ से प्रकरण में दहेज के लिए उत्पीड़ित करने और मांग पूरी न होने पर हत्या का आरोप लगाया गया था। भाई की तहरीर पर घोरावल थाने में 15 नवंबर 2010 को पति के खिलाफ धारा 498-ए, 304बी आईपीसी और धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था।
विवेचना के दौरान खुदकुशी का मामला आया सामने
प्र्रकरण दर्ज कर घोरावल पुलिस ने जब मामले की विवेचना की तो खुदकुशी का मामला सामने आया। दावा किया गया कि पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ था। उसके बाद मृतका ने किसी जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया था जिससे उसकी मौत हो गई। जांच के दौरान सामने आए तथ्यों पर मामले को धारा 306 आईपीसी यानी आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत परिवर्तित कर दिया गया और पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए आरोप पत्र धारा 498-ए, 306 आईपीसी के तहत न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई।
लगभग 14 साल तक चली सुनवाई
वर्ष 2011 में न्यायालय ने प्रकरण का संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। इस दौरान परीक्षित कराए गए गवाहों, पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की तरफ से दिए गए तर्कों के आधार पर दोषसिद्ध पाया गया। पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक मामले में न्यायालय एएसजे/सीडब्लू न्यायाधीश की अदालत की अदालत ने मुकुंद लाल उर्फ बबुंदर पुत्र सुदामा निवासी बेलखुरी, थाना घोरावल को दोषी पाया और सात वर्ष के कठोर कैद के साथ ही अर्थदंड की सजा सुनाई।