जानिए-भक्तों ने कराया स्नान तो भगवान हुए बीमार,कई दिनों तक बंद रहेगा पट
भगवान को गर्मी से राहत देने के लिए भक्त कराएंगे गंगाजल से स्नान,बीमारी होंगे प्रभु,15 दिनों तक बन्द रहेगा मन्दिर
27 जून से शुरू होगा तीन दिवसीय रथयात्रा मेला
वाराणसी। अस्सी घाट स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को जेठ मास की भीषण गर्मी से राहत दिलाने के लिए गंगाजल से स्नान कराया जाएगा। जहाँ भक्तों के प्रेम में जलाभिषेक के बाद भगवान बीमार होंगे। यह काशी के लक्खा मेले में शुमार हैं। जिसको हम रथयात्रा मेला कहते हैं।
मन्दिर के प्रधान पुजारी पं. राधेश्याम पाण्डेय का कहना है कि यह कार्यक्रम 11 जून को भगवान को गर्मी से राहत दिलाने के लिए भक्त गंगाजल से स्नान कराएंगे। जहाँ प्रभु जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को मंदिर के गर्भगृह की छत पर उत्तर पूर्व स्थित स्नान वेदी पर विराजमान कराया जाएगा। जो सूर्योदय के साथ तीनों विग्रहों का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। आरती के बाद पंच पल्लव मिश्रित गंगा जल के 108 मटकों से स्नान होगा। यह स्नान सर्वप्रथम शाहपुरी परिवार कराने के बाद ही आम भक्त प्रभु को स्नान रात 11 बजे तक कराएंगे। लेकिन दोपहर 12 से 3 बजे तक मन्दिर बन्द रहता है। इसलिए स्नान भी रुक जाएगा और 3 बजे के बाद पुनः स्नान शुरू होगा। जिससे प्रभु बीमार हो जाएंगे। भगवान 15 दिनों तक आराम करेंगे। जिसमें 12 जून से शाम चार बजे से काढ़ा बनाकर भोग लगाया जाता है। जो भक्तों में वितरण किया जाता है।इस दौरान मंदिर के कपाट 15 दिन तक बंद रहता है। जहाँ 25 को सुबह परवल का जूस का भोग लगाकर सुबह छः बजे पट खुल जाएगा।
जहाँ श्वेत वस्त्र में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र भक्तों को दर्शन देंगे। जहाँ मंगला आरती स्तुति, भजन के साथ ही श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ होगा और आठ बजे नैवेद्य स्वरूप परवल का जूस दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 26 जून को शाम चार बजे अस्सी से भगवान के विग्रहों को डोली में विराजमान कर यात्रा निकाली जाएगी। डोली यात्रा गाजे-बाजे के साथ अस्सी मन्दिर से उठकर दुर्गाकुंड, नवाबगंज, राममंदिर, कश्मीरीगंज, खोजवां, शुंकुलधारा, बैजनत्था, कमच्छा से पंडित बेनीराम बाग होते हुए शापुरी भवन जाकर समाप्त होगी और अगले दिन यानी 27 जून से तीन दिवसीय रथयात्रा मेला की शुरुआत होगी। इस मेले में भी रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र भक्तों को दर्शन देते हैं।