बनारस में फेमस सुबह ए बनारस के 9 वें वार्षिकोत्सव पर पहुंची मालिनी अवस्थी
वाराणसी | बनारस में फेमस सुबह-ए-बनारस के 9 वें वार्षिकोत्सव के मौके पर घाट पर वेद ऋचाएं गूंजीं और घंटे-घड़ियाल के साथ पुरोहितों ने मां गंगा की आरती उतारी। साथ ही इस मौके पर प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी भी घाट पर पहुंची।
सुबह ए बनारस आयोजन के नौंवे आरम्भ दिवस के उपलक्ष्य में भव्य समारोह साकार हुआ। जिसके अंतर्गत प्रभाती में पद्मश्री मालिनी अवस्थी का सुमधुर गायन सम्पन्न हुआ आरम्भ में पद्मश्री मालिनी अवस्थी पद्मभूषण प्रो वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी एवं सुबह बनारस के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य तथा लोक गायिका पद्मश्री श्रीमती अजिता श्रीवास्तव एवं ख्यात चिकित्सक पूर्व कुलपति किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय पद्मश्री प्रो सरोज चूड़ामणि गोपाल साथ मे पद्मश्री एवं कृषि विज्ञानी श्री चंद्रशेखर ने दीप प्रज्वलित किया इसी क्रम में श्री लक्ष्मी नारायण के नेतृत्व में सप्त बटुकों ने आरती का शुभारंभ किया।
इसी के साथ संजीवनी जी के नेतृत्व में पाणिनि कन्या महाविद्यालय की ऋषिकाओं ने वैदिक ऋचाओ के स्तवन के साथ यज्ञ का संचालन किया जिसमें श्रद्धालुओं सहित विशिष्टजनो ने यज्ञ में समिधा रूपीआहुति अर्पित की। इसके उपरांत मा गंगा को पुष्पांजलि अर्पित की गयी अब समय आ गया प्रभाती में राग अर्पण का जिसमे आज की अतिथि कलाकार थी पद्मश्री विदुषी मालिनी अवस्थी जिन्होंने प्रथम बार गंगा तट अपनी हाजिरी लगाई ।आपके साथ तबला संगति रही पं कुबेर मिश्र की एवं संवादिनी पर साथ दिया बनारस घराने के वरिष्ठ कलाकार पं धर्मनाथ मिश्र ने । तानपुरा संगति रही सुश्री पूजा राय की मालिनी जी द्वारा ब्रह्म महूर्त में राग अहीर भैरव के अंतर्गत बिलम्बित एकताल में निबद्ध बंदिश की भावपूर्ण प्रस्तुति में ब्रह्म मुहूर्त के इस राग में निहित शांत और कोमल दोनो भावों की कुशल अभिव्यक्ति रही बोल थे मेरो मन मोहे जोगिया । बंदिश के बोल थे इसके उपरान्त द्रुत तीनताल में निबद्ध बंदिश के माध्यम से भक्ति रस का सृजन किया बंदिश के बोल थे उठहूँ गोपाल भोर की चिरइया बोलन लागे ।इसके उपरान्त श्रोताओ के विशेष आग्रह पर उन्होंने अपने गुरु विदुषी पद्मविभूषण विदुषी गिरिजा देवी जी के प्रिय ठुमरी के मधुर गायन से बनारस के पारंपरिक संगीत से सबके मन को रससिक्त कर दिया जिसके बोल थे पिया के मिलन की आस ।इसीके साथ एक और दादरा जिसके बोल थे गंगा तीरे बंगला छवाई द मोरे राजा की कर्ण प्रिय गायन से सभी के चित्त में लय स्वर की अनुगूंज प्रवाहित किया ।
प्रभाती की दूसरी हृदयस्पर्शी प्रस्तुति स्वीजरलैंड की निवासिनी कथक नृत्य कलाकार श्रीमती मीरा द्वारा बनारस के पारंपरिक दादरा पर आधारित कथक नृत्य की प्रस्तुति रही। बोल थे रंगी सारी गुलाबी चुनरिया जिसमे आज मणि कंचन संयोग रहा पद्मश्री मालिनी जी द्वारा नृत्य में दादरा का गायन ।
आरम्भ में कार्यकम की निरंतरता के विषय मे संक्षिप्त परिचय दिया सुबह ए बनारस के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य ने एवं स्वागत किया सुबह ए बनारस के संस्थापक सचिब डॉ रत्नेश वर्मा ने तथा धन्यवाद ज्ञापित किया सुबह ए बनारस के उपाध्यक्ष प्रमोद मिश्र ने इस अवसर पर विशिष्टजन उपस्थित रहै जिनमे प्रमुख थे पूर्व संस्कृति मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी पूर्व मेयर वाराणसी श्री राम गोपाल मोहले एवं बाबा हरिहर रामजी अघोर संत एवं सदस्य पं दीपक मिश्रा, चित्रकार मनीष खत्री पाणिनि कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या नंदिता शास्त्री तथा एमजी राय एवं वाराणसी विकास समिति के प्रमुख व्यवसायी आरके चौधरी, गायक कलाकार पं देवाशीष डे, पूर्व निदेशक आई एम एस बी एच यू चिकित्सक प्रो टीएम महापात्र, वरिष्ठ सदस्य सुबह ए बनारस रमेश तिवारी, कोषाध्यक्ष सुनील शुक्ला एवं सदस्य सुबह ए बनारस अजय गुप्ता तथा मंजू मिश्रा, श्याम केसरी, यूपी सिंह, देवेंद्र मिश्र, कृष्णमोहन पांडेय, जयप्रकाश मित्तल, अमर अग्रवाल ज्योतिषविद पं हरेंद्र उपाध्याय, दिलीप गुप्ता आदि विशिष्टजन उपस्थित रहे महिला सदस्यों में रही मंजू गुप्ता, विभा शुक्ला श्रीमती सीमा केसरी डॉ शिवानी शुक्ला डॉ रागिनी सरना, अर्चना अग्रवाल आदि प्रमुख रही
संचालन डॉ प्रीतेश आचार्य ने किया।