रामनगरी में परिक्रमा के दौरान भगदड़ से कई लोग घायल
अयोध्या। बीती रात से ही शुरू राम नगरी की 14 कोसी परिक्रमा बुधवार को भी पूरे प्रवाह में आगे बढ़ती रही। रात 1:30 बजे के आसपास हनुमान गुफा नुक्कड़ पर श्रद्धालुओं के भीषण दबाव के बीच परिक्रमा मार्ग पर कुछ देर के लिए अफरा तफरी मच गई। लोगों का दबाव अधिक होने से कई श्रद्धालु बेहोश हो गए। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
नुक्कड़ पर नियुक्त मजिस्ट्रेट लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि अफरा तफरी के बीच पुलिस को तत्काल सक्रिय किया गया और एंबुलेंस की मदद से बेहोश श्रद्धालुओं को चिकित्सालय पहुंचाया गया। चिकित्सकों ने बताया कि सांस लेने में दिक्कत और घबराहट की वजह से बुजुर्ग श्रद्धालुओं को कुछ दिक्कत हुई थी, लेकिन जल्दी ही पूरी तरह स्वस्थ होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
इस बीच 14 कोसी परिक्रमा अन्य किसी गतिरोध के बिना आगे बढ़ती रही। परिक्रमा का मुहूर्त तो मध्य रात्रि के बाद 12:47 बजे से था, लेकिन श्रद्धालु मुहूर्त से घंटों पूर्व पूरे उत्साह के साथ परिक्रमा मार्ग पर आगे बढ़ते रहे । मुहूर्त शुरू होने के बाद तो रामनगरी के 42 कोस की परिधि में तिल तक रखने की जगह नहीं बची। कुछ घंटे तक तो भीड़ के आगे पुलिस भी असहाय दिखी और उसे भीड़ नियंत्रित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
बुधवार को सूर्योदय के साथ भीड़ के दबाव की चुनौती कुछ कम हुई। इसके बावजूद श्रद्धालुओं का प्रवाह पूर्वान्ह अविरल कायम रहा। श्रद्धालुओं में युवाओं और परिपक्व लोगों के अलावा बुजुर्ग और महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल रहीं। राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण और दो वर्ष तक कोरोना संकट से मुक्ति के बाद परिक्रमा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
स्थानीय अभिसूचना इकाई ने परिक्रमा में 30 लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान व्यक्त किया है। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की ओर से व्यापक इंतजाम किया गया था। 14 कोस की परिधि में तीन दर्जन स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर लगाए गए थे। ताकि परिक्रमा करने वालों को जरूरत के हिसाब से त्वरित सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
व्यवस्था और सुरक्षा को देखते हुए संपूर्ण परिक्रमा मार्ग को पांच सेक्टर में बांटा गया था। मंडलायुक्त नवदीप रिणवा, पुलिस उपमहानिरीक्षक अमरेंद्र कुमार, जिलाधिकारी नितीश कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रशांत वर्मा आदि परिक्रमा क्षेत्र का निरंतर भ्रमण भी करते रहे। स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से भी परिक्रमा मार्ग पर शिविर लगाकर श्रद्धालुओं की सेवा की गई।