काशी में है माँ ब्रह्मचारिणी का मंदिर,करती हैं हर मनोकामना पूरी
आज यानी 27 अगस्त को शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन दुर्गा माता के द्वितीय सवरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली। इनका का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से आत्मविश्वसा, बुद्धि, संयम में वृद्धि होती है। मां ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से धैर्य प्राप्त होता है और मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्त्तव्य से विचलित नहीं होता है। इनकी पूजा से मनुष्य को जीवन में विजय की प्राप्ति होती है। ऐसे में आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ उनकी आरती जरूर करें। इससे मां प्रसन्न होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी की आरती इस प्रकार है…
मां ब्रह्माचारिणी आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा के लिए सर्वप्रथम मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद इन्हें पुष्प,अक्षत, कुमकुम, व सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें। मां ब्रह्मचारिणी को को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए। इन्हें मिश्री या सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।