काशी का रहस्यमयी नागकूप: कालसर्प दोष से देता है मुक्ति
वाराणसी (जनवार्ता) । सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाने वाला नागपंचमी पर्व काशी में विशेष धार्मिक उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए शिवालयों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। इसी क्रम में वाराणसी के जैतपुरा इलाके में स्थित नागकूप पर भी भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। कहा जाता है कि यह कुआं न केवल पौराणिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके गर्भ में ऐसा रहस्य छिपा है, जो इसे संपूर्ण भारत में विशेष स्थान प्रदान करता है।
यह प्राचीन नागकूप, जिसकी उत्पत्ति का इतिहास लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व तक जाता है, स्कंद पुराण और काशी खंडोक्त जैसे ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है। मान्यता है कि यह कुआं सीधे नागलोक तक जाता है और आज भी यहां नागों का निवास बना हुआ है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि इस कुएं के मात्र दर्शन से नागदंश के भय से छुटकारा मिलता है और जन्मपत्रिका में स्थित कालसर्प दोष भी शांति को प्राप्त करता है।
नागकूप की गहराई लगभग 80 फीट है। इसी गहराई में नागेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग विराजमान है, जिसकी स्थापना योगबल और तप के माध्यम से स्वयं महर्षि पतंजलि ने की थी। यही वह स्थान है, जहाँ महर्षि ने कठोर तपस्या करते हुए व्याकरणाचार्य पाणिनि के भाष्य की रचना की थी। यह शिवलिंग और स्थान दोनों ही अध्यात्म, दर्शन और तांत्रिक साधना के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
मंदिर के महंतों के अनुसार इस कूप के भीतर सात और कुएं स्थित हैं, जो पाताललोक—अर्थात नागलोक—से जुड़े माने जाते हैं। सावन के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने से मानसिक और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है। नागपंचमी जैसे पावन अवसर पर तो यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है, जो विशेष अनुष्ठान कर कालसर्प दोष से मुक्ति की कामना करते हैं।
कहा जाता है कि पूरे विश्व में कालसर्प दोष से मुक्ति के केवल तीन प्रमुख स्थान हैं और काशी का यह नागकूप उनमें सबसे प्रमुख माना जाता है। जिन लोगों को स्वप्न में बार-बार नाग या सर्प दिखाई देते हैं, उनके लिए यह स्थान विशेष रूप से कल्याणकारी होता है। इस कुएं का जल घर में छिड़कने से भी नकारात्मक प्रभाव और दोषों से छुटकारा मिलने की मान्यता है।
नागपंचमी के इस पावन अवसर पर यह स्थल न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि धर्मशास्त्रों, पुराणों और पौराणिक इतिहास में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का बड़ा केंद्र बना हुआ है। काशी के इस प्राचीन नागकूप में आस्था और रहस्य का ऐसा संगम देखने को मिलता है, जो इस नगरी की आध्यात्मिक विरासत को और भी अद्वितीय बना देता है।