अब गर्व का पल!भारतीय महिला शांति सैनिकों ने रचा इतिहास,अबेई में तैनात करने वाला पहला देश

अब गर्व का पल!भारतीय महिला शांति सैनिकों ने रचा इतिहास,अबेई में तैनात करने वाला पहला देश
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नई दिल्ली। जब एक सैनिक की बात की जाती है तो दिमाग में ये नहीं आता कि वो पुरुष है या फिर महिला,क्योंकि सैनिक का मतलब और उद्धेश्य सिर्फ एक ही है अपने देश की रक्षा करना। लेकिन एक चीज है जो महिला सैनिक को अलग बनाती है और वो और कुछ नहीं है उसका महिला होना है,जिसे समाज ने नाजूक भाव में जोड़ रखा है।

आज के आधूनिक युग में भारत में महिलाएं शिक्षा,राजनीति,मीडिया,कला व संस्कृति,सेवा क्षेत्रों,विज्ञान व प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्रों में अपनी भागीदारी दे रही है। हर उस काम को निष्ठा और लगन के साथ कर रही है जिसे समाज के ठेकेदारों का कहना था कि ये काम महिला नहीं कर सकती। यहां तक कि महिलाएं आज उस शिखर तक पहुंच चुकी हैं जहां पूरे हिंदुस्तान को उनपर गर्व हो रहा है।

एक ओर गर्व का पल भारत को महिलाओं की वजह से देखने को मिला है जिसका परिणाम आज भारत विदेश के विवादित क्षेत्रों में भारतीय महिला सैनिकों को तैनात करने वाला पहला देश बन गया है।

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना प्रमुख जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने 16 जनवरी को अबेई में भारत से महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी की तैनाती का स्वागत करते हुए कहा, ‘महिला सैनिकों का मतलब कुशल संचालन है’। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा- भारत से महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी को अबेई में तैनाती में हमें बहुत खुशी हुई।

शांतिरक्षक के रूप में अधिक संख्या में महिलाओं की तैनाती का अर्थ है अधिक कुशल संचालन और वे उन लोगों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने में मदद करते हैं जिनकी हम सेवा करते हैं।

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14 जनवरी को अबेई पहुंचा था महिला सैनिकों का दस्ता
महिला शांतिरक्षक, हाल के वर्षों में भारत से एकमात्र सबसे बड़ी महिला पलटन, अबेई के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल (यूएनआईएसएफए) के साथ अपनी तैनाती शुरू करने के लिए बीते शनिवार यानि की 14 जनवरी को अबेई पहुंची। अबेई दक्षिण सूडान और सूडान की सीमा पर विवादित क्षेत्र है और इसे विशेष प्रशासनिक स्थिति प्रदान की गई है। पिछले साल 31 अक्तूबर तक भारत संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक मिशन में बांग्लादेश के बाद दूसरी सबसे बड़ी सेना भेजने वाला देश है। कुल 12 मिशन में भारत 5,5887 सैनिक और कर्मी भेज चुका है।

महिला शांति सैनिकों ने शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कहा गया है कि महिला शांति सैनिकों की तैनाती का अतीत में शांति स्थापना के वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और शांति स्थापना के प्रदर्शन में वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है कि समुदायों के लिए उनकी स्वाभाविक पहुंच के कारण महिला शांति रक्षक गतिविधियों में अधिक विविधता जोड़ती हैं और कौशल को व्यापक बनाती हैं” ।

महिला शांति सैनिकों के दस्ते में शामिल अधिकारी
महिला शांति सैनिकों के दस्ते में दो अधिकारी और 25 अन्य रैंक शामिल हैं, एक सगाई पलटन का हिस्सा है और सामुदायिक आउटरीच में माहिर है। यह सुरक्षा संबंधी व्यापक कार्य भी करेगा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, “उनकी उपस्थिति का अबेई में विशेष रूप से स्वागत किया जाएगा, जहां हाल ही में हिंसा में वृद्धि ने संघर्ष क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों के लिए चुनौतीपूर्ण मानवीय चिंताओं को जन्म दिया है।”

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UNISFA में भारतीय बटालियन के हिस्से के रूप में अबेई में प्लाटून तैनात किया गया है और संयुक्त राष्ट्र मिशन में महिला शांति सैनिकों की भारत की सबसे बड़ी एकल इकाई है क्योंकि इसने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार सभी महिलाओं की टुकड़ी को तैनात किया था।

महिला शांति सैनिकों का हुआ प्रशिक्षण
टीम ने अपने मिशन से संबंधित सभी पहलुओं में शांति सैनिकों के रूप में प्रशिक्षण लिया,जिसमें गश्त,संयुक्त राष्ट्र के कामकाज, सामुदायिक जुड़ाव, भाषा शामिल थी और मिशन के जनादेश के बारे में भी जानकारी दी गई थी। UNISFA ने कहा कि यह कदम सैन्य शांति व्यवस्था में लिंगों के बेहतर एकीकरण की दिशा में “आधारभूत” साबित होगा।


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