किडनैपर्स की फोटो लेकर गली-गली भटक रही थी पुलिस,सच्चाई खुली तो उड़े होश…

किडनैपर्स की फोटो लेकर गली-गली भटक रही थी पुलिस,सच्चाई खुली तो उड़े होश…
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नई दिल्ली। उसे क्राइम की सनसनीखेज कहानियां पढ़ने का बहुत शौक था। अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास तो सबसे ज्यादा पसंद थे। वो लाइब्रेरी में घंटों बिताता और किताबों में डूबा रहता। ख्वाहिश थी कि वो भी एक दिन इसी तरह का लेखक बने। लेकिन,जब सेमेस्टर परीक्षाओं में उसके नंबर कम आए तो मन निराश हो गया। उसने खुद की जान लेने की कोशिश की और जब ऐसा नहीं हो सका तो एक फर्जी और खतरनाक कहानी तैयार की। ऐसी कहानी,जिसे सुनकर शायद आप भी हैरान रह जाएं।

वो 7 जुलाई 2012 की रात थी,जब पुणे पुलिस के पास एक फोन आया। फोन पर बताया गया कि कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे के एक स्टूडेंट का किडनैप हुआ है। किडनैपिंग के बाद उसे लूटा गया और फिर नवी मुंबई के वाशी पुल से नीचे फेंक दिया गया। मामला एक कॉलेज स्टूडेंट की किडनैपिंग का था, इसलिए तुरंत क्राइम ब्रांच के अफसरों की टीम इस केस को सुलझाने में लगा दी गई।

पुलिस ने जब मामले की तफ्तीश शुरू की, तो पता चला कि 7 जुलाई की रात को दो मछुआरों ने इस पीड़ित छात्र को वाशी क्रीक के किनारे पर पड़ा हुआ पाया था। उन्होंने ही स्थानीय पुलिस को इस बारे में सूचना दी थी। कुछ वक्त बाद पीड़ित छात्र को होश आया और उसने पुलिस के सामने बयान दिया कि कुछ लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था।

उसने आगे कहा कि 7 जुलाई की सुबह वह लातूर से बस में बैठकर पुणे के लिए निकला था, ताकि अपने फाइनल ईयर के कोर्स की फीस भर सके। छात्र ने आगे बताया कि इसके बाद वह पुणे के स्वारगेट बस स्टैंड से अपने हॉस्टल जाने के लिए एक शेयर्ड ऑटोरिक्शा में सवार हुआ था। मामले की आगे की जांच के लिए केस को पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन ट्रांसफर कर दिया गया।

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हालांकि, क्राइम ब्रांच की एक टीम भी लगातार केस की जांच करती रही। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि ये छात्र लातूर के एक व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखता था। उसने पुलिस को बताया कि शेयर्ड रिक्शा में साथ बैठे कुछ अजनबी लोगों ने उसके मुंह पर रुमाल लगाकर उसे नशीला पदार्थ सुंघाया था। जब उसे होश आया तो उसने खुद को एक कार में पाया।

छात्र ने आगे बताया कि उन लोगों ने चाकू की नोक पर उससे 60 हजार रुपये कैश, एक सेल फोन और एक घड़ी लूट ली। इसके बाद उन्होंने उसे वाशी के पुल से नीचे फेंक दिया। अब पुलिस आगे की तफ्तीश के लिए इस छात्र को क्राइम सीन पर लेकर गई, ताकि समझा जा सके कि कैसे उसका अपहरण हुआ और कैसे उसके साथ लूट हुई।

पुलिस ने बनवा लिए थे तीन स्कैच
छात्र ने बताया कि उसे लूटने वालों में ऑटो रिक्शा चालक, कार का ड्राइवर और चाकू से डराने वाले एक शख्स सहित कुल तीन लोग शामिल थे। उसकी कहानी के आधार पर पुलिस ने तीन संदिग्ध अपहरणकर्ताओं के स्कैच भी तैयार कर लिए। ये स्कैच आसपास की दीवारों पर चिपकाते हुए लोगों से अपील की गई कि अगर किसी को इनके बारे में कोई सुराग मिले, तो पुलिस को सूचना दें।

इन सबके बीच कुछ ऐसा हुआ, जिससे पुलिस का माथा ठनक गया। दरअसल, छात्र ने जो बयान दिया और क्राइम सीन पर घटना के बारे में जो जानकारी दी, वो दोनों अलग-अलग थी। पुलिस के मुताबिक छात्र ने अपने परिवार को बताया था कि उसने पांचवें और छठे सेमेस्टर में लगभग 8 ग्रेड पॉइंट हासिल किए हैं। लेकिन, उसके कॉलेज से पुलिस को पता चला कि वह तो पिछले कई दिनों से स्कूल ही नहीं आ रहा।

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और खुल गई सारी कहानी
साथ ही पुलिस को यह भी पता चला कि वह एफसी रोड पर स्थित एक पुस्तकालय में किताबें पढ़ने और इंटरनेट कैफे में काफी वक्त बिताता था। पुलिस को यह बात भी पता चली कि उसे क्राइम की कहानियां पढ़ना बहुत पसंद था और वह एक लेखक बनना चाहता था। अब पुलिस को उसके ऊपर शक हुआ और अधिकारियों ने उसे अपने माता-पिता के साथ थाने बुला लिया।

पुलिस ने माता पिता के सामने उससे पूछा कि उसने अपहरण की झूठी कहानी क्यों बनाई? शुरुआत में छात्र ने ना-नुकर की, लेकिन बाद में टूट गया। उसने बताया कि उसका कोई अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि उसने खुद की जान लेने की कोशिश की थी। 7 जुलाई की सुबह वह बस से मुंबई गया, फिर अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास खरीदे और वाशी के एक लॉज में कमरा किराए पर लिया।

कीमती सामान फेंककर पानी में कूदा
बाद में वह क्रीक के पास गया, अपना बैग एक तरफ फेंका और इसमें कूद गया। उसने अपना कीमती सामान, जिसके बारे में उसने दावा किया था कि चोरी हो गया था, पानी में फेंक दिया। अपने बयान में छात्र ने बताया कि उसने अपनी जान लेने की कोशिश की, लेकिन बाद में तैरकर किनारे पर आ गया और एक मछुआरे ने उसे बचा लिया।

पुलिस के मुताबिक, इस छात्र का एकेडमिक रिकॉर्ड बहुत अच्छा था। सेकेंड्री और सीनियर सेकेंड्री की परिक्षाओं में मेरिट लिस्ट में उसका नाम आया और इसके बाद उसने अपने इंजीनियरिंग के पहले साल में भी अच्छे नंबर हासिल किए। हालांकि, बाद के सेमेस्टर में उसके ग्रेड कम आने पर वो निराश हो गया। पुलिस का मानना है कि हो सकता है कि उसने हताशा के कारण ऐसा कदम उठाया हो।

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