सोना महंगा होने से 50% बढ़ गई कांचीपुरम सिल्क साड़ियों की कीमत

सोना महंगा होने से 50% बढ़ गई कांचीपुरम सिल्क साड़ियों की कीमत
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नई दिल्ली। कांचीपुरम सिल्क साड़ियों को खरीदने के लिए पीक सीजन होता है। यह साल का वह समय है जब लोग शादी के लिए कांचीपुरम सिल्क साड़ियां खरीदने के लिए टेक्सटाइल शोरूम में जाते हैं। लेकिन यह खरीदारी उनकी जेब पर बहुत भारी पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि सोने की आसमान छूती कीमतों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कांचीपुरम साड़ियां महंगी हो गई हैं। पिछले आठ महीनों में कांचीपुरम सिल्क साड़ियों की कीमत में 50% की बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण ग्राहक ऐसी साड़ियों की ओर रुख कर रहे हैं जिनमें सोने और चांदी का कम यूज हुआ है। साथ ही ऐसी साड़ियों की भी मांग बढ़ी है जिनमें ये दोनों कीमती धातुएं नहीं होती हैं। कांचीपुरम सिल्क साड़ियों में विशेषज्ञता रखने वाली प्रमुख रिटेल टेक्सटाइल चेन ब्रांड आरएमकेवी का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी के कारण उसकी बिक्री में 20% की गिरावट आई है।

आरएमकेवी के एमडी के शिवकुमार ने कहा कि कई ग्राहक एक खास बजट के साथ आते हैं और कम सोने और चांदी वाली (कांचीपुरम) सिल्क साड़ियां पसंद करते हैं। इसी तरह कुछ ग्राहक अपने बजट के अनुरूप साड़ियों की संख्या कम कर देते हैं। यह पहला मौका है जब रेशमी साड़ियों की कीमत इतने कम समय में 35% से 40% तक बढ़ गई है। सोने की कीमत में इस दौरान काफी तेजी आई है। 22 कैरेट सोने की कीमत एक अक्टूबर 2023 को 5,356 प्रति ग्राम थी जो 21 मई 2024 को बढ़कर 6,900 प्रति ग्राम हो गई। इसी प्रकार, इसी अवधि के दौरान चांदी की कीमत भी 75.5 रुपये प्रति ग्राम से बढ़कर 101 रुपये प्रति ग्राम हो गई। इससे कांचीपुरम के 10,000 करोड़ रुपये की सिल्क साड़ी उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है।

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क्या है इसमें खास
कांचीपुरम सिल्क साड़ी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के वी के दामोदरन ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर से इस साल मई के बीच साड़ियों की कीमत में 40%-50% की बढ़ोतरी हुई है। कांचीपुरम सिल्क साड़ी की कीमत मुख्य रूप से सोने और चांदी की कीमतों से तय होती है क्योंकि ये दोनों धातुएं पारंपरिक सिल्क साड़ी का हिस्सा ‘जरी’ बनाने के लिए जरूरी हैं। ग्राहकों ने ऐसी ‘जरी’ वाली हैंडलूम कांचीपुरम सिल्क साड़ी खरीदना शुरू कर दिया है जिसमें सोना और चांदी का मिश्रण नहीं होता। वे सस्ती होती हैं। इसका हमारे व्यापार और बुनकरों पर बहुत बड़ा असर पड़ रहा है। रेशम, सोने और चांदी से बुनी गई कांचीपुरम सिल्क साड़ियां विशेष अवसरों और उत्सवों में पहनी जाती हैं। यह साड़ी बॉर्डर पर अपने खास पैटर्न के लिए लोकप्रिय हैं।

जीआई टैग वाले इस उत्पाद में आधुनिक समय की मांग को पूरा करने के लिए बदलाव किया गया है। इसमें साड़ियों पर शादी के जोड़े की तस्वीरें बुनी जाती हैं। प्रत्येक साड़ी की कीमत 20,000 रुपये से 2.5 लाख रुपये के बीच है। के एस पार्थसारथी हैंडलूम वीवर्स एसोसिएशन के जे कमलानाथन ने कहा कि प्रीमियम साड़ियों का उत्पादन ठप्प हो गया है। उदाहरण के लिए, पिछले साल अक्टूबर में सिल्क साड़ी की कीमत 70,000 रुपये थी, जो अब बढ़कर 1.2 लाख रुपये हो गई है। महंगी होने के बाद ऐसी प्रीमियम श्रेणी की साड़ियों के लिए बहुत कम खरीदार बचे हैं, इसलिए बुनकरों ने अपना ध्यान सस्ते सेगमेंट की ओर मोड़ दिया है।


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