सुप्रीम कोर्ट में SEBI का जवाब, 2016 से अडानी कंपनियों की जांच से साफ इनकार
नई दिल्ली। अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की तरफ से जवाब दिया गया। सेबी की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया कि उस पर यह आरोप निराधार है कि सेबी 2016 से अडानी कंपनियों की जांच कर रही है। सेबी ने कहा 2016 के बाद किसी भी अडानी कंपनी की जांच नहीं की गई। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ अडानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच के लिए छह महीने के विस्तार की मांग पर विचार कर रही है।
3 महीने में जांच को पूरा करने का निर्देश
सोमवार को दिए अपने जवाब में सेबी ने दोहराया कि उसे जांच पूरी करने के लिए ज्यादा समय दिये जाने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले शुक्रवार को कहा था कि सेबी की तरफ से जांच पूरी करने के लिए छह महीने का समय मांगा गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में जांच को पूरा करने का निर्देश दिया था। इससे पहले 12 मई को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई के लिए सोमवार का दिन तय हुआ था।
14 अगस्त के करीब होगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि जांच के लिए 6 महीने का समय ज्यादा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि हम इस मामले की 14 अगस्त के करीब सुनवाई करेंगे। अदालत ने कहा था कि अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सुनवाई के दौरान सेबी से कहा कि ‘हम जांच के लिए समय बढ़ाएंगे,लेकिन छह महीने के लिए नहीं। हम तीन महीने के लिए समय बढ़ाएंगे।’
2 मार्च को दिए थे जांच के आदेश
आपको बता दें 2 मार्च को, शीर्ष अदालत ने सेबी को निर्देश दिया था कि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप द्वारा प्रतिभूति कानून के किसी भी उल्लंघन की जांच करे। उस समय अडानी ग्रुप के मार्केट कैप को 140 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का भारी नुकसान हुआ था।
समिति में कौन-कौन है शामिल?
एक्सपर्ट समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के साथ-साथ अन्य पांच सदस्यों में शामिल हैं-सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेपी देवधर, ओपी भट्ट, केवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरसन।