छेलो शो के मुकाबले RRR के हैं ऑस्कर जीतने के ज्यादा चांसेस – निर्देशक एसएस राजामौली

छेलो शो के मुकाबले RRR के हैं ऑस्कर जीतने के ज्यादा चांसेस – निर्देशक एसएस राजामौली
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नई दिल्ली । फिल्म आरआरआर का ऑस्कर के लिए निर्देशक एसएस राजामौली अमेरिका में प्रमोशन कर रहे हैं। अब उन्होंने अमेरिका में एक इंटरव्यू दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत की ओर से आधिकारिक एंट्री हुई छेलो शो के मुकाबले आरआरआर के ऑस्कर जीतने के चांसेस अधिक है। हाल ही में फिल्म आरआरआर के गाने नाटू-नाटू गोल्डन ग्लोब अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

‘आरआरआर के जीतने के चांस अधिक है’
अब एसएस राजामौली ने हॉलीवुड रिपोर्टर को एक इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने आरआरआर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही लोकप्रियता और अवार्ड के बारे में बात की है। जल्द ही क्रिटिक्स चॉइस अवार्ड होने वाले हैं। यह इसका 28वां एडिशन होगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह उनके लिए बहुत ही निराशाजनक था, जब उन्हें इस बात की का पता चला कि भारत की ओर से आधिकारिक एंट्री के तौर पर ऑस्कर के लिए आरआरआर को नहीं भेजा जाएगा। इसपर एसएस राजामौली कहते हैं, ‘जी हां, यह बहुत ही निराशाजनक था लेकिन हम उन लोगों में से नहीं हैं जो चुपचाप बैठकर ऐसा होने देते। जो हो गया, वह हो गया। हमें अब आगे बढ़ना है। मैं इसलिए भी खुश हूं कि छेलो शो भी एक भारतीय फिल्म है और इसका चुनाव भी ऑस्कर के लिए किया गया है। मैं उनके लिए खुश हूं लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि सभी को पता था कि आरआरआर के जीतने के चांस अधिक है, यहां अमेरिका में तो सभी को ऐसा लगता है।’

एसएस राजामौली से द लंचबॉक्स के बारे में भी बात की गई
एसएस राजामौली से द लंचबॉक्स के बारे में भी बात की गई, जो कि 2013 में रिलीज हुई थी और इसे भी ऑस्कर के लिए आधिकारिक एंट्री के तौर पर नहीं भेजा गया था। वह कहते हैं, ‘मुझे पता नहीं कि किस प्रकार कमेटी काम करती है या कमेटी के क्या गाइडलाइन्स है। मैं उस पर कोई मत नहीं दे सकता। मुझे लगता है कि द लंचबॉक्स को भेजा जाना चाहिए था। मैं क्रिटिकल रिव्यू के लिए फिल्में नहीं बनाता हूं। मैं फिल्में पैसे के लिए बनाता हूं। दर्शकों के लिए बनाता हूं। आरआरआर एक कमर्शियल फिल्म है।’

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‘लंच बॉक्स भारत की ओर से एक बड़ी उपलब्धि होती’
एसएस राजामौली आगे कहते है, ‘मेरी फिल्में अगर बॉक्स ऑफिस पर अच्छा करती है तो मुझे अच्छा लगता है और अवार्ड उनका एक्सटेंशन होता है लेकिन लंच बॉक्स के मामले में ऐसा नहीं था। मुझे लगता है कि यह भारत की ओर से एक बड़ी उपलब्धि होती। इसके कारण कई लोगों का अवसर मिलता है कि वह अपनी कहानियां दुनिया को बताएं। एक अच्छा अवसर हमने खो दिया और मुझे उसके लिए बुरा लगता है।’


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