गुजरात में मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल: सीएम भूपेंद्र पटेल को छोड़कर सभी 16 मंत्रियों ने इस्तीफा सौंपा, कल शपथ ग्रहण समारोह
गांधीनगर : गुजरात की भाजपा शासित सरकार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर राज्य मंत्रिपरिषद के सभी 16 मंत्रियों ने गुरुवार को सामूहिक रूप से अपने इस्तीफे सौंप दिए। यह कदम आगामी कैबिनेट विस्तार से ठीक पहले उठाया गया है, जिसमें नए चेहरों को शामिल करने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार, यह फैसला भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर लिया गया, ताकि सरकार में नई ऊर्जा का संचार हो सके।
मुख्यमंत्री पटेल के निवास पर दोपहर में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक के बाद सभी मंत्रियों ने इस्तीफा पत्र सौंपे। इनमें आठ कैबिनेट स्तर के मंत्री और आठ राज्य मंत्री (मंत्री ऑफ स्टेट) शामिल हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा ने इस प्रक्रिया का समन्वय किया। विश्वकर्मा हाल ही में ही गुजरात भाजपा के अध्यक्ष बने हैं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटील का स्थान ले चुके हैं।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत को शाम तक सभी इस्तीफे सौंपे जाएंगे। मुख्यमंत्री पटेल ने इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं, लेकिन पुनः नियुक्त होने वाले मंत्रियों के इस्तीफे राज्यपाल को नहीं भेजे जाएंगे। कल, 17 अक्टूबर को सुबह 11:30 बजे गांधीनगर के महात्मा मंदिर में नए मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह होगा। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के मौजूद रहने की संभावना है। सभी भाजपा विधायकों को गांधीनगर पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।
नए मंत्रिमंडल की संभावित संरचना
गुजरात विधानसभा में कुल 182 सदस्य हैं, जिसके अनुसार अधिकतम 27 मंत्री (15 प्रतिशत) नियुक्त किए जा सकते हैं। वर्तमान में सीएम सहित 17 सदस्यीय मंत्रिपरिषद है, जो अब 20-23 सदस्यों तक विस्तारित हो सकती है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार, लगभग 10 नए चेहरे शामिल हो सकते हैं, जबकि मौजूदा मंत्रियों में से आधे को बदल दिया जाएगा।
जातिगत संतुलन: नए पैनल में 6 पाटीदार नेता (4 लेउवा पाटेल और 2 कड़वा पाटेल), 4 ओबीसी विधायक (थाकोर और कोली समुदाय से), 2 अनुसूचित जाति (एससी), 2 अनुसूचित जनजाति (एसटी), 2 ब्राह्मण और 2 क्षत्रिय प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं *महिला प्रतिनिधित्व*: लगभग 4 महिला विधायकों को मंत्री पद मिलने की उम्मीद, जिनमें युवा और अनुभवी दोनों शामिल होंगी।
नो-रीपीट’ फॉर्मूला: 2021 की तर्ज पर अधिकांश मौजूदा मंत्रियों को दोहराया न जाने का सिद्धांत अपनाया जा सकता है। हर्ष संघवी और ऋषिकेश पटेल जैसे कुछ नामों को बरकरार रखा जा सकता है।
यह फेरबदल 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी संगठन को मजबूत करने और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे ‘आंतरिक कलह’ का संकेत बताते हुए निशाना साधा है, लेकिन भाजपा नेताओं ने इसे ‘ताजगी भरा बदलाव’ करार दिया।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गुजरात सरकार विकास योजनाओं पर तेजी से काम करने का दावा कर रही है, खासकर ‘विकसित गुजरात@2047’ के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए। शपथ ग्रहण समारोह के बाद नए मंत्रियों को विभाग आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।