बाल विवाह मुक्त भारत की ओर निर्णायक कदम

बाल विवाह मुक्त भारत की ओर निर्णायक कदम

2030 तक पूर्ण उन्मूलन का संकल्प फिर दोहराया

rajeshswari

नई दिल्ली (जनवार्ता) । केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वर्ष 2030 तक बाल विवाह को शत-प्रतिशत समाप्त करने के अपने राष्ट्रीय संकल्प पर पूरी तरह कायम है। उन्होंने इसे “संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज” का साझा मिशन बताया और इसे विकसित भारत@2047 की मजबूत नींव का अभिन्न हिस्सा करार दिया।

मंत्री ने अपने लेख में बताया कि पिछले वर्ष 27 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शुरू किए गए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक वर्ष पूरा होने पर देश ने एक बार फिर यह प्रतिज्ञा दोहराई है कि हर बालिका और बालक को सुरक्षित बचपन, निरंतर शिक्षा और सम्मानजनक भविष्य मिलना उसका जन्मसिद्ध अधिकार है।

पिछले एक साल में अभियान ने उल्लेखनीय प्रगति की है। देश भर में 37,000 से अधिक बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) नियुक्त किए गए हैं। स्कूल छोड़ चुकी 6.30 लाख से ज्यादा लड़कियों की पहचान कर उन्हें फिर से कक्षाओं में वापस लाया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, पंचायती राज संस्थाओं और जिला प्रशासन को सशक्त बनाकर अग्रिम पंक्ति को मजबूत किया गया है। इसके साथ ही बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल शुरू किया गया है, जो सभी सीएमपीओ की जानकारी एक जगह उपलब्ध कराता है और त्वरित रिपोर्टिंग तथा जागरूकता के लिए केंद्रीकृत मंच का काम करता है।

श्रीमती देवी ने कहा कि बाल विवाह की जड़ें गरीबी, शिक्षा की कमी और अवसरों के अभाव में हैं। मोदी सरकार इन जड़ों को समाप्त करने के लिए एक साथ कई योजनाएं चला रही है। पोषण ट्रैकर से अब तक 10.14 करोड़ से अधिक लाभार्थी जुड़ चुके हैं। ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ योजना के तहत बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा मिल रही है। राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना के लिए वर्ष 2025-26 में 1,827 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता दे रही है, जबकि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और प्रधानमंत्री-दक्ष योजना हाशिए के युवाओं को रोजगारोन्मुखी कौशल प्रदान कर रही हैं। ये सभी योजनाएं मिलकर बाल विवाह की सामाजिक-आर्थिक मजबूरियों को स्वतः कम कर रही हैं।

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समाज भी इस अभियान में पूरी तरह साथ आया है। गांवों-कस्बों से करोड़ों लोग बाल विवाह खत्म करने का सामूहिक संकल्प ले चुके हैं। चुप्पी अब शिकायत में और सामाजिक कलंक अब समर्थन में बदल रहा है।

अंत में अन्नपूर्णा देवी ने कहा, “ये बच्चे ही विकसित भारत के असली सारथी हैं। उनके बचपन और सपनों की रक्षा हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम न केवल अपने बच्चों को बचा रहे हैं, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दे रहे हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास से सदियों पुरानी कुरीतियां भी खत्म की जा सकती हैं।”

Shiv murti

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