भारत ने नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों पर जताई चिंता
सीमा पर बढ़ाई सुरक्षा
नई दिल्ली (जनवार्ता): नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। काठमांडू सहित नेपाल के विभिन्न शहरों में जेन-जी युवाओं के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें 19 से 21 लोगों की मौत और 300 से अधिक के घायल होने की खबर है। भारत ने इस अशांति को देखते हुए नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, “भारत नेपाल में हाल के हिंसक प्रदर्शनों और उससे हुई जनहानि पर गहरा दुख व्यक्त करता है। हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं और सभी पक्षों से शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए मतभेद सुलझाने का आग्रह करते हैं।” मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को काठमांडू और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में सावधानी बरतने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है।
नेपाल में विरोध प्रदर्शन सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध के फैसले से शुरू हुए, जिसे प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार छिपाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश मान रहे हैं। यह आंदोलन अब “जेन-जी क्रांति” में बदल चुका है, जिसमें युवा लोकतांत्रिक अधिकारों और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। सोमवार को शुरू हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें पुलिस ने रबर बुलेट्स, आंसू गैस, और कुछ मामलों में गोलीबारी का इस्तेमाल किया।
भारत-नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने पनितंकी सहित अन्य क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ा दी है ताकि नेपाल की अशांति का असर भारतीय क्षेत्रों में न फैले। भारत सरकार ने स्थिति पर कड़ी नजर रखने की बात कही है, खासकर तब जब नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है। मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारी दबाव के बीच इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कई मंत्रियों ने भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद छोड़ दिए।
नेपाल में तनावपूर्ण स्थिति के बीच काठमांडू में कर्फ्यू लागू है, और स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और सरकारी इमारतों पर हमले किए हैं, जिससे अस्थिरता और गहरा गई है। भारत के लिए यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि ओली की भारत-विरोधी नीतियों, जैसे 2020 में नेपाल के नए नक्शे में भारतीय क्षेत्रों को शामिल करना, ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनाव पैदा किया था।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत नेपाल के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को महत्व देता है और वहां शांति व स्थिरता की बहाली की उम्मीद करता है।” भारत ने नेपाल की स्थिति पर नजर रखने के लिए अपने दूतावास और सीमा प्राधिकरणों को हाई अलर्ट पर रखा है।